दुश्मनी भाग १
यह धारावाहिक है आराधना के साधारण से जीवन में असंख्य उतार-चढ़ाव की, क्या आराधना इन मुसीबतों का सामना कर पायेगी! कहीं किसी से दुश्मनी मोल ले लेना आराधना के लिए जीवन भर के लिए पछतावा तो नहीं रह जाऐगा, जानने के लिए धारावाहिक से जुड़े रहे। *****************धन्यवाद**************
आराधना बहुत ही सादगी और शालीनता से जीवन जीने वाली मध्यम वर्गीय खानदान की इकलौती बेटी थी। उसने अपने जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव देखे थे, उसके पिता एक सरकारी विद्यालय में चपरासी की नौकरी करते थे, आराधना भी उसी विद्यालय में सातवीं में पढ़ती थी। उसके पिता को झाड़ू पोंछा करते हुए देखकर उसकी कई सहेलियां उसका मजाक उड़ाती, एक चपरासी की बेटी होने के कारण आराधना कई बार अपने पिता से गुस्सा हो जाया करती थी।
आराधना पढ़ने लिखने में बहुत होशियार थी, वह अपने पिता को ऐसी नौकरी करते देखना कभी पसंद नहीं करती थी, वह जल्दी से बड़ी हो जाना चाहती थी और अपने माता पिता का सहारा बनकर अपना जीवन शान से बिताना चाहती थी, उसने अपनी पढ़ाई में इतनी मेहनत की कि दसवीं में जिले में टोपर रही। आगे की पढाई के लिए उसे अन्य कई विद्यालयों से आॕफर आऐ, जिनमें एक विद्यालय उसके जिले का सबसे बडा विद्यालय था।
माता-पिता के कहने पर उसने उस विद्यालय में प्रवेश लिया, आज उसका विद्यालय में पहला दिन था, वह अपनी सबसे अच्छी वाली ड्रेस पहनकर विद्यालय पहुँची, जिस विद्यालय में जाते समय वह अपने भविष्य की सुखद कल्पना कर रही थी, वह विद्यालय किस प्रकार उसके जीवन का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया यह कहानी उसी के इर्द गिर्द है।
आराधना का विद्यालय में पहला दिन:-
आराधना- आज मेरे जीवन का सबसे बडा दिन है, मेंने तो इस विद्यालय का नाम केवल अखबारों में ही पढ़ा था।
सपना- हाँ ये तो सच है इस विद्यालय का नाम जिले में पहले स्थान पर है,यहाँ के अध्यापक दूर-दूर से बुलाए गये है,बहुत ही प्रतिष्ठित विद्यालय है ये।
( दो लड़के आपस में लड़ते हुए पास से गुजर रहे है, तभी एक लड़का आराधना से टकरा जाता है)
मोहित- अरे यार देखकर चला करो, पता नहीं कहाँ से ऐसे नमूने आकर मुझसे टकरा जाते है, पूरा मूड खराब कर दिया।
आराधना- (धीमी आवाज में) माफ करना आगे से ऐसा नहीं होगा।
सपना- तुम क्यों माफी माँग रही हो, हम लोग तो सही चल रहे थे , ये ही हमसे आकर भिड़ गया था, माफी इसको माँगनी चाहिए।
मोहित- अच्छा, तो अब तुम दो टके की लड़की मुझे समझाओगी, तुम जानती नहीं मैं कौन हूँ? एक मिनट में तुमको इस विद्यालय से निकलवा सकता हूँ।
( तभी हिन्दी की अध्यापिका रीता मैडम का प्रवेश होता है, मोहित का दोस्त किशोर बात संभाल कर उसे वहाँ से ले जाता है)
रीता- क्या हुआ बच्चों अभी तक प्रार्थना सभा में नहीं गये, जल्दी करो प्रिन्सिपल सर आने वाले है।
आराधना- हाँ मैडम हम वहीं जा रहे है, चल सपना।
( आराधना और सपना जल्दी से प्रार्थना सभा में पहुँचती है, आराधना के मन में मोहित की बातों का प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा था वह जानना चाहती थी की वह कौन था)
(प्रार्थना सभा में सभी विद्यार्थी गायत्री मंत्र का उच्चारण कर रहे है और एक तरफ प्रिंसिपल का वहाँ प्रवेश होता है, वे सबको ध्यान से देख रहे है और स्वयं भी गायत्री मंत्र गुनगुना रहे है)
प्रिंसिपल- बच्चों आज आप सभी का इस विद्यालय में पहला दिन है, ओर आप सभी काफी उत्साहित भी हो रहे होंगे। पूरे जिले में हमारा विद्यालय प्रत्येक क्षेत्र में उत्तम स्थान पर आता है, और मैं आशा करता हूँ कि आगे भी यह उत्तम स्थान पर ही रहे।
सभी विद्यार्थी एक स्वर में- जी सर हम सब इसका ध्यान रखेंगे।
( इसी बीच आराधना और मोहित की नजर एक-दुसरे पर पड़ती है....
क्रमश:
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