भटकती रूह भाग २


गतांक से आगे

शरबत पीने के बाद, हम 1832 के भारत में पहुंच गए,जहां आज़ादी के लिए कुछ लोग  बंद कमरे में सलाह करते दिख रहे थे,उनकी फुसफुसाहट बता रही थी , कि  किसी जोरदार हमले की तैयारी की जा रही।

दो जुड़वां भाई दिख रहे थे, _,जो कह रहे थे आज ",या तो आर या पार,"।आज अंग्रेज़ो के छक्के छुड़ा कर आएंगे या शहीद हो कर आएंगे।

फिर सब जय देवड़ी मां, कह   निकल पड़ते हैं।

हम देख रहे थे ,बहुत भयंकर युद्ध हुआ ,अंग्रेज़ भाग रहे थे,वो जंगल की भौगोलिक स्थिति समझ नहीं पा रहे थे।

और ये क्या?? कुछ अंग्रेज़ राजा जगतपाल के पास पहुंचे हुए हैं,उनको लुभावने प्रस्ताव दे रहे।

राजा ने उनके लिए विदेशी शराब और मनोरंजन के साधन पेश किए,साथ साथ ,मदद का आश्वासन।

अरे ये क्या??? राजा तो गद्दार निकल गया।हमारे मुंह से निकला ,उस व्यक्ति ने हमें घूर कर देखा और कहा  _हां।

फिर राजा ने गुप्तचर भेज, दोनों भाइयों का पता अंग्रेज़ हुक्मरानों को दिया।और फिर उन्हें घेर कर मार दिया जाता है।

तभी हमें हमारे पास बैठे ,जैसा एक आदमी दिखता है,वह बहुत गुस्से में दिख रहा था।
उसके आस पास काफी लोग इकट्ठा थे,जो उसे समझा रहे थे कि, राजा से इस समय टकराना सही नहीं है।

लेकिन वह बहुत आक्रोश में था ,उसके हाथों में नंगी तलवार लहरा रही थी।

वह घोड़े पर चढ़ा ,और चल पड़ा जगतपाल सिंह के किले की ओर।
उसने राजा को ललकारा ,दोनों में भयंकर लड़ाई हुई,और उसे जिंदा पकड़ लिया जाता है।



राजा ने दमन की नीति अपना , "दूसरे सर ना उठाएं,"इसका सबक देने के लिए उस वीर को फांसी देने का हुक्म दिया।

जिला स्कूल के पास पीपल के पेड़ में उसे फांसी पर लटकाने का इंतजाम किया गया।फांसी पर लटकने से पहले__
उसने कहा  _ गद्दार राजा ,तेरा ये राज्य नेस्तनाबूद हो जाएगा,तेरा कोई नाम लेने वाला नहीं बचेगा।

इस किले पर बिजली तब तक गिरती रहेगी ,जब तक यह जमींदोज ना हो जाए, तब तक मैं यही हमेशा रहूंगा।

🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄

हम लोग अभी तक 1831_ 32 के ही भारत को देख रहे थे।
भोर की किरण जब हमारी आंखों में पड़ी,तो हमने आंखें खोली।
हम वहीं  कमरे में सो रहे थे,और कमरे में कोई भी तस्वीर और वो व्यक्ति जिसने कल हमे शरबत पिला कहानी सुनाई थी, कुछ भी नहीं था सब गायब था।


हम कांप रहे थे।जल्दी जल्दी बाहर निकले।
बाहर गेट से अपना कैमरा निकाला और जैसे ही बाहर आए।अचानक मौसम बदल गया,अरे अभी तो सूर्य जगमगा रहा था ,ये बादल कहां से आ गए,और देखते ही देखते बिजली कड़की और किले पर गिरी।

हम ऐसे भाग रहे थे ,जैसे भूत 👻☠️ हमारे पीछे हो।

बाद में पता चला जिसने हमें ये कहानी बताई, वो और कोई नहीं ,विश्वनाथ शाहदेव थे,जिन्हें राजा ने फांसी पर लटका दिया था।उनकी आत्मा आज भी वहीं किले में घूमती है।हमने। कैमरे को खंगाल कर देखा बहुत सी आत्माएं 
किले के आस पास भटक रही थी।

अतृप्त आत्माएं.....

स्वरचित_ संगीता( आधी हकीकत ,आधा फसाना)

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