चन्द दिन का सुख

बहुत गरीबी में पली बड़ी थी बो
मेरे हिसाब से बारह साल इतनी ही उम्र थी उसकी इन बारह सालो में शायद बारह दिन पेट भर खाना खाया हो उसने ।
अभी नया मकान खरीद कर हम गाँव से यहाँ शिफ्ट हुये थे।बाहर निकलना भी कम
हो पाता था धीरे धीरे जान पहचान होने लगी।
पास में ही एक घर था पता नही उस मकान में कितने लोग रहते थे हर बख्त शोर रहता।
कभी कभी जब अकेला पन हाबी होता छत पर जाकर उन लोगों का शोर सुनकर मन भूल जाता पता  नही शोर क्यों था मैंने कभी जानने की कोशिश न की।
फिर कुछ लोग उस घर से निकलकर दूसरे शहर काम करने चले गए पेट के लिए इंसान 
कहि भी चला जाता है।
कुछ दिन बाद पता चला बह कमजोर सी शामली लड़की कही गायब हो गई
पूरे मोहल्ले में यह चर्चा का बिषय और औरतों का टाइम पास भी।
जो नमाँ बाप कभी उसे पेट भर खाना न दे सके आज उसे ढूढने के लिये
दिन रात एक किये हुए थे।
कोई कहता किसी के साथ  भाग गई कोई कहता कोई औरत जादू करके अपने साथ ले गई।
इन्हीं कयासों में एक महीना बीत गया।
एक दिन अचानक शाम के समय अपनी माँ के साथ रिक्से पर बैठकर आ गई
पर अब न तो बह कमजोर थी न शामली बल्कि पहले से ज्यादा सुंदर तन्दुरुस्त और कीमती सूट पहने  थी।
किसी भी तरह बह परेशान न दिखती थी।
बह कहाँ से आई कहाँ थी सारे शब्दो पर विराम लग चुका था।

एक दिन दोपहर के समय बह पानी भरने मेरे घर आई मेने जिज्ञासा बस पूछ लिया
तुम कहा चली गई थी।
मेरा यह सबाल सुनकर उसकी आँख भर आईं
फिर उसने जो आपबीती सुनाई मेरे होश उड़ गए।
उसने कहा एक औरत जो उसी मकान में किराए पर रहती थी जिसमे बह भी रहती थी।
मां बाप के काम पर जाने के बाद  बह रोज उस औरत के पास बैठकर अपने छोटे भाई बहन को खिलाती थी।कभी वह औरत उसे कुछ फल खाने को दे देती थी।
एक दिन उस औरत ने कहा तुम मेरे साथ चलो में तुम्हें बहुत अच्छी जगह ले चलूंगी बहाँ तुम्हरा जीवन बहुत सुख में बीतेगा।
रोज आधा पेट खाकर फ़टे पुराने कपड़े पहनकर बह तंग आ चुकी थी ।
और एक दिन बह चुपचाप उस औरत के साथ हो ली।
बह औरत उसका सोदा  करने के लिए ग्राहक ढूढ रही थी 
इधर उसके मां बाप पुलिस से मिलकर उसे ढूढ़ रहे थे।
जब लड़की को पता चला बह औरत उसे बेचना चाहती है तो वह अपने घर आने के लिए छटपटाने लगी।
बह मौका तलाशती  एक बार भागीभी फिर पकड़ ली गई।
कितनी सर्द रातें उसे ईख के खेतों में बितानी  पड़ी।
फिर उसेकुछ दिन दिल्ली के मकान में बंद रक्खा गया ।
इसी दौरान चार्जिंग पर लगा फोन उसके हाथ लग गया और उसने अपनी बहन का नम्बर मिला कर बता दिया मुझे नीचे बाली किरायदार ले आई है।
किसी के आने पर फोन काट दिया पर उन लोगों को शक हो गया और जगह बदल दी।
अब बहुत जल्द उसे बेच दिया गया उस औरत ने मां बनकर उसका कन्यादान किया।
जिस घर में उसे बेचा गया हर सुबिधा थी दो मंजिला मकान गाड़ी मोटर साइकिल।
गाय भेस ।उसे महंगी साड़ी गहने अच्छे से अच्छा खाना सब एक सपना से लग रहा था सास की लाडली बहु थी बो ।
पर एक बात समझ मे न आती सब कुछ होकर भी शादी ऐसे क्यो की
फिरसास ने बताया एक्सीडेंट होने से  उसकी मानसिक हालत बिगड़ गई थी 
इसलिए छोटों की शादी कर दी जब यह ठीक हुआ तब शादी बाले आने बन्द हो गये।
फिर मेने कई लोगो से बात की कैसे भी कराओ बस मेरे जीते जी इसकी शादी करा  दो
और तब बो औरत तुम्हारी बात कीओर में तैयार हो गई।
सारा खर्च हमने किया उस औरत को तुम्हारी माँ बनाकर कन्यादान कराया ताकि किसी गाँव बाले को शक न हो अब बेटा तुम मेरी बहु हो अब में चेन से मर सकुंगी
यह कहकर बुढ़िया ने उसके सिर पर हाथ फेरा।
जब पति से मेरा  सामना हुआ बह मुझसे उम्र ने पन्द्रह साल बड़ा था पर उसे स्नेह के आगे में सब भूल गई ।
सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था तभी पुलिस ने हमे पकड़ लिया
और नाबालिक होने के कारण मुझे न चाहकर भी बहां से आना पड़ा
अपनी इज्जत बचाने के लिये मेरे पति ने पुलिस को साठ हजार रुपए दिये बह रुपये मेरे बाप ने ले लिए मेरे गले मे सोने की चेन थी बो पुलिस ने ले ली।
में लौट आई औरबह चुपचाप खड़ा देखता रहा।
काश में बालिग होती।
दो दिन बाद यह मेरी शादी कर रहे हैं।बो ही पैसा खर्च हो रहा है।
उसकी कहानी सुनकर मेरा मन भीग गया।
दूसरे दिन वह आई हाथ मे एक पैकिट था उसने खोलकर दिखाया बहुत सुंदर साड़ी थी
बह बोली यह साड़ी मेने पहन रख्खी थी जब पुलिस ने मुझे पकड़ा और यह चाँदी
के बिछिये।
दो दिन बाद उसकी शादी हो गई एक निहायत गबांर इंसान से  जो पूरे दिन मज दूरी 
करता देखने मे बिल्कुल उल्टा तवा।
अब फिर उसको दो बख्त का खाना कपड़ा नसीब नही दो बच्चे हो गए जरा सी उम्र में।
माँ बाप ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया जोकिया सो भरो और कुछ पैसो से विवाह करके बचे सब हड़प लिए।
आज भी यहांआती है तो अपने बीते दिनों को याद करके रोते हुए यही कहती है बो सुख के पन्द्रह दिन ईश्वर ने भूल से मेरी किस्मत में लिख दिए थे।

अंजू दीक्षित,
बदायूँ ,उत्तर प्रदेश।

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