भककती रूह भाग १


मैं  रांची विश्वविद्यालय  से पारलौकिक विज्ञान  पर प्रोफेसर शास्त्री की देख रेख में शोध कर रही थी।
मैंने स्थानीय लोगों से राजा जगतपाल सिंह के किले के बारे में सुन रखा था, कि किले के आस पास एक साया घूमा करता है,और उनके किले पर हमेशा बिजली गिरा करती है।
मैं और मेरे  साथी वहां जाकर देखने का फैसला करते हैं।मैंने अपने साथ किर्लियन 📷 कैमरा रख लिया। जो सायों कि तस्वीर लेने में सक्षम है।

रांची से 18 किलोमीटर दूर पिठौरिया गांव है,वहीं यह किला 200 वर्ष पुराना है,जो अब जीर्ण शीर्ण हो चुका है, लगातार बिजली गिरने से।
हमने ऑटो बुक कराया ,ऑटो ड्राइवर हमें काफी डरावनी कहानियां सुना डरा रहा था।

किले से कुछ ही दूर पर उसने  हमें छोड़ दिया।

किले  की इमारत बता रही थी कि किला कितना भव्य था,इसमें 100 कमरे थे।काफी समृद्धि थी राजा जगतपाल के राज्य में।
लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी हुई कि यह किला शापित हो गया। 
हमने उसके प्रवेश द्वार में ही कैमरा लगा दिया,ताकि कोई भी हरकत कैमरे में कैद हो सके।
              और किले के अंदर हमने प्रवेश किया ,खंडहर बन चुके इस किले में कभी राजा ऐशो आराम के साथ रहते थे,हम ये महसूस कर पा रहे थे।

अचानक एक आदमी ,सर पर पगड़ी बांधे,मूंछें घनी , उम्र करीब 35-36 साल का रहा होगा ,हमारे पास आया।

उसने हमसे पूछा ,क्या जानने आए हो  तुमलोग,?? हमने जवाब दिया - जी यहां कुछ अजीब घटनाएं घटती है उसी के बारे में जानना है।

उसने कहा चलो मेरे साथ ,वह हमें एक कमरे में ले गया।,वहां एक तस्वीर थी,जिसे उसने उठाया ,तस्वीर पर वर्षों की धूल लगी थी,उसने उसे साफ किया,और कहने लगा ये राजा जगतपाल  सिंह की तस्वीर  है।उसके चेहरे पर वितृष्णा झलक रही थी।

हम बहुत उत्सुकता से उसकी बातें सुन रहे थे।
फिर वह उठा ,और उसने हम चार जनों को एक पेय दिया जो वह  अपने साथ लाया था ।

उस शरबत पीने के बाद  हमें बहुत ताज़गी महसूस होने लगी ।
हमारी आंखों के सामने कुछ अलग ही दृश्य दिखने लगा .........।

क्या था उस शरबत में, हम चारों ही समझ नहीं पा रहे थे।कौन है वो व्यक्ति ,क्यों आया था।

शेष अगले भाग में

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