अग्निवीर"(आखिर कब तक)


             आजादी को 75 साल पूरे होने वाले हैं। सरकार ने कई सपने बुने कुछ पूरे हुए,कुछ अधूरे और कई सपने तो सपने ही रह गए।आख़िर क्यों??? कथनी और करनी सदैव एक सी नहीं होती। जब सरकार युवाहित के भविष्य के लिए कुछ योजनाओं का आगाज करती है तो उसके शुरू होने के पहले ही कहीं कोई छोटी सी चिंगारी, आग भड़काने को तैयार रहती है।एक विनाशकारी ज्वालामुखी की तरह सब तहस-नहस करने के लिए। आखिर कब तक हमारे देश में नवयुवकों को दिग्भ्रमित किया जाएगा। जो जोश व उत्साह अपने मातृभूमि के प्रति समर्पण व अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए होना चाहिए। वही युवावर्ग हिंसात्मक घटना में अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं। किसने भड़काया , किसने चिंगारी सुलगाई इन युवाओं के जेहन में????? इन सबसे परे,  सिर्फ़ हमें अब यही सोचना है कि हम सब सर्वप्रथम भारतीय हैं, जो हमारे हित में है, उसे हम सब मिलकर आगे बढ़ायेंगे , व कामयाब होने की कोशिश करेंगे। तू, तेरा और मैं, मेरा से नहीं......... यह संस्कारों, एकता ,सद्भभावों की भारत भूमि है। यहां सिर्फ और सिर्फ "हम और हमारा" ही होना चाहिए। तभी हमारा भारत एकता से पूर्ण आत्मनिर्भर व वास्तव में स्वतंत्र देश कहलाएगा। जय हिंद जय भारत।

                                मनीषा ठाकुर (कर्नाटक)

Comments

Popular posts from this blog

अग्निवीर बन बैठे अपने ही पथ के अंगारे

अग्निवीर

अग्निवीर ( सैनिक वही जो माने देश सर्वोपरि) भाग- ४