समाज के पिशाच
आज समाज भरा पड़ा है
जगह जगह पिशाचों से
नही सुरक्षित देश हमारा
दरिंदो नर पिशाचों से !!
नही कोई बहु बेटी सुरक्षित
आज इस समाज में
गिद्ध बन झपटने को बैठे
पिशाच हैं कबसे ताक में!!
मौका पाते लड़की का अस्मत लूट
उसे जीते जी मार देते हैं
फिर खुद खुली हवा में वो निडर हो
बिचरते रहते हैं!!
जब देखो लड़की के साथ जबरदस्ती होती है रहती
प्रतिदिन एक निर्भया सड़क पर मरती दिखती है रहती
लड़की ने अवहेलना की तो तेजाब मुंह पर फेक देते
उसका जीवन बर्बाद कर नेताओं के आड़ में छिप जाते !!
ये देश के नेता भी किसी पिशाच से कम नही
वो भी देश को लूटने से कभी बाज आते नही!
अपने ओहदे का ये भरपूर लाभ उठाते है
नरभक्षी राक्षस ये औरतों बेटियों
को कहां बख्शते हैं!!
दहेज लोभी भी सच पूछो तो समाज के पिशाच हैं होते ?
दहेज खातिर ये कुछ भी ,करने से कहां चूकते!
आए दिन समाज में बहुओं के साथ अत्याचार के किस्से सुनने में आते
उनको घुट घुट कर जीने के लिए, ये हैं बाध्य करते !!
कई जगह तो पति भी मां बाप के साथ मिला होता
नई नवेली दुल्हन को तिल तिल करके है तड़पाता!
शारीरिक मानसिक यातनाएं आज भी बहुएं बहुत सहती
जिनके खातिर घर छोड़ा था अब उनकी भी नही रहती!!
देश के गद्दार तो भी पिशाच ही हैं होते
गद्दारी देश से करके, अपनी वो जेबें भरते
ये गद्दार भी छुपकर अंदर ,सबके बीच ही बैठे होते
विभीषण कौन है देश में समझ हम नही पाते !!
विनती है सरकार से मेरी जरा विचारो और समझो
समाज के इन पिशाचों का कड़वा आप इलाज करो!
सजा ऐसा दो इनको ये जीवन भर तिल तिल के तड़पें
अपनी करनी का फल ये, मरते दम तक भोगे !!
पूनम श्रीवास्तव
नवी मुंबई
महाराष्ट्र
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