सुखी संसार


सखि, 
क्या तुम्हें पता है कि "सुख" किसे कहते हैं ? पर तुम्हें कहां से पता होगा ? तुम कोई इंसान थोडी ना हो । ये सुख दुख तो ईश्वर  ने हम इंसानों को ही दिये हैं ना । अच्छा है कि तुम इंसान  नहीं हो वरना तुम भी आज मंहगाई को कोस रही होती , नई पीढी को लापरवाही और अमर्यादित व्यवहार के लिये पानी पी पी के गालियां दे रही होती । लोगों की नकारात्मक सोच पर तरस खा रही होती और बात बात पर लडने की प्रवृति पर मन ही मन भुनभुना रही होती । मगर तुम इन सब लफडों  से दूर हो, इसीलिए कितनी खुश हो । तुम्हारा संसार कितना सुखी है क्योंकि वह एक "आभासी" है न कि वास्तविक । 

हकीकत  में यहां कौन सुखी है ? किसी को पति ने प्रताडित किया है तो कोई पत्नी पीड़ित है । कोई  शादी करके दुखी है तो कोई इसी बात से दुखी है कि उसकी शादी नहीं हुई । किसी के संतान नहीं है तो कोई अपनी संतान से ही दुखी है । कोई गरीबी से दुखी है तो किसी को चार, उचक्कों का डर सताता है । कोई इस बात से दुखी है कि वह सुन्दर  नहीं है तो किसी के लिये उसकी सुंदरता ही अभिशाप बन गई है । सखि, मुझे तो यहां पर हर आदमी दुखी ही नजर आता है । 

अब तुम कहोगी कि ऐसा नहीं है । कुछ लोग इस धरती पर भी सुखपूर्वक रह ही रहे हैं । हां, यह बात सही है और मैं भी मानता हूं कि सब लोग दुखी नहीं हैं । पर, ये सुखी दिखने वाले लोग कौन हैं ? वही न जो हद दर्जे के धूर्त और  मक्कार हैं या इतने बेशर्म हैं कि रिश्वत लेते हुए सरेआम पकड़े जाने पर भी निर्लज्जता से कहते है कि उन्हें झूठा फंसाया गया है । इसी तरह बहुत से नेता, अभिनेता, पत्रकार, बुद्धिजीवी, सेकुलर्स, लेफ्ट लिबरल्स वगैरह टीवी पर अपनी बत्तीसी दिखाते रहते हैं न, उन्हें सच मत समझ लेना । ये सब तो वैसे ही मुस्कुराते हैं जैसे किसी मेहमान के सामने पति को जबरन मुस्कुराना पडता है । कुछ लोग उस झूठी मुस्कान  के कारण ही उस बेचारे पति से ईर्ष्या करने लग जाते हैं । लेकिन हकीकत तो बेचारा पति ही जानता है कि वह किस तरह "हलाल" हो रहा है । 

सखि, झूठी मुस्कान पर मत जाना । ये हुस्न वाले ऐसी ही झूठी मुस्कान से मर्दों को अपने जाल में फंसाते हैं । और जब कोई मेरे जैसा सीधा सादा बंदा फंस जाता है तो फिर ये "कातिल" उसका कीमा बनाकर खा जाते हैं । हम मर्द  तो दोनों तरफ से मर जाते हैं ना । एक तो इनकी कातिल नजरों से वैसे ही "घायल" हैं जैसे हमारे मित्र और मशहूर शायर राजेश घायल हैं जिन्होंने घायल होकर अपने नाम में ही "घायल" शब्द लगा लिया है । दूसरे, अगर नजरों के तीरों से बच भी गये तो फिर ये हुस्न वाले अपनी जानलेवा "मुस्कान " से धराशाई कर देते हैं । सखि, इनसे बच पाना असंभव है   वैसे एक बात बताऊं । कोई भी मर्द इनसे बचना भी नहीं चाहता है । मुझे तो लगता है कि यही "सुख संसार" है । सब लोग इसी में ही जीना चाहते हैं । किसी के दिल में बस जाओ और "सुख के संसार" में चैन की बंशी बजाओ । क्यों सखि, है न सही बात ? 

हरिशंकर गोयल "हरि"

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