तुम्हारा असर है इस कदर


प्रफुल्लित मन मदमस्त होकर
बादलों के रथ पर सवार
आकाश चूमता है,

सुकून की शीतल हवाएं
अन्तर्मन के उद्वेग को
शान्त कर जाती हैं,

हर्षोल्लास की नन्हीं बूंदों से
हृदय का प्यासा समंदर
भर जाता है,

ताजगी भरे प्यारे से अहसास
मेरे वजूद को हौले से
सहला जाते है,

देख लो!
इक तेरे मिलने और बात करने से
चमत्कार कितने सारे
मेरी जिंदगी में हुए जाते हैं।
                        जितेन्द्र 'कबीर'

यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश

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