जमाना बदल रहा है


पतिदेव सेंकते रोटी , पत्नी आराम फरमा रही हैं
सच कहते हैं सब लोग अब  जमाना बदल रहा है

जूठे बर्तनों का अंबार सा लगा हुआ है किचेन में
फरमाइश चाय की आ रही, जमाना बदल रहा है

ऑफिस  से थके हुए हैं फिर भी झाड़ू लगा रहें हैं  
अभी कपड़ों का धुलना बाकी ,जमाना बदल रहा है

 महंगे ब्यूटी पार्लर में जाकर देवी जी व्यस्त हैं जब 
पति घर के जाले छुड़ा रहा है जमाना बदल रहा है

किटी पार्टी से आकर पत्नी जी अब थक गई है तो 
पति उनके पैर दबा रहा है अब जमाना बदल रहा है

ये रचना केवल हास्य और मनोरंजन के लिए लिखी गई है
पुरुष वर्ग और महिला वर्ग दोनों कृपया अन्यथा न लें😊😊😀😀🙏🙏

संगीता शर्मा

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