कुंडल



वो तेरी लाल  चुनरियां।
वो तेरे कान के कुंडल।
लागे सजन को  प्यारी
हृदय को पड़े  रे भारी।

 देखें    करीब   से   तुम्हें
 बताए दिल की बात तुम्हें।
 कर दो उस पर  कृपा तुम
अपना उसे  बना लो  तुम ।

लाल सूट पहनती हो तुम
आँखो में बसती  हो   तुम
गज़ब कहर ढाती  हो तुम
फिर भी  लगतीं प्यारी तुम।

 जब राह में निकलती हो
 होश  ही उड़ा  जाती  हो।
 लफ्ज़ों कि बात पढ़ लेती
 दिल की बात नहीं कहती।

अर्पणा दुबे अनूपपुर मध्यप्रदेश

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