तेरी तरहां अगर मैं भी


तेरी तरहां अगर मैं भी, तुमसे करता यार नफरत।
समझकर तुमको पराया, करता नहीं तेरी इज्ज़त।।
कैसी होती तेरी हालत,तेरा गर ख्याल नहीं करता।
तेरी करता बुराई मैं, तुमसे नहीं करता मोहब्बत।।
तेरी तरहां अगर मैं भी--------------------।।


मानकर तुमको एक काफिर,तुमको जाहिल समझ लेता।
दिखाकर तुमको बेअदबी,तुमको जहन्नुम बना देता।।
कैसी होती तेरी दुनिया, कैसी तेरी सूरत होती।
बना देता ऐसी तस्वीर, मानकर सबकी मैं नसीहत।।
तेरी तरहां अगर मैं भी----------------------।।


समझकर तुमको पवित्र, कदम रखा तेरी दर पर।
तेरा दामन रहे बेदाग, बदनामी ली अपने ऊपर।।
जख्म कितना गहरा होता, दर्द तुमको मेरे हमदर्द।
चलाता तीर यदि मैं, करके नासूर की सोहबत।।
तेरी तरहां अगर मैं भी--------------------।।


फिर भी करता हूँ दुहा, दुनिया तेरी रहे आबाद।
हसीन ये ख्वाब तुम्हारे, कभी नहीं हो बर्बाद।।
रुसवां होता अगर तुमसे, तुमको देता नहीं तरजीह।
कैसे होती ऐसे बेखौफ, दिखाता नहीं मैं शराफत।।
तेरी तरहां अगर मैं भी--------------------।।



साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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