पुष्प बहारों का
रंग-बिरंगी फूलें बागों में,
लहलहाती फूलों की गाँव...
पीले-निले अतरंगी सी,
मँहक उठूँ खुशबू मेंहकाऊँ...
रंग-बिरंगी फूलों......
खिलखिलाती धूप की छिंटे,
बिखरे इन्द्रधनुष की रंगों में...
इन नजारों की बात अनोखीं,
सजती जाये उल्फत गगन में...
रंग-बिरंगी फूलें......
मैं मौसम की बादियों में,
इतराऊँ कभी भौंरों को लाऊँ...
मेरे कोमल सी पंखुरियों में
ताज़ी-ताज़ी लुफ्त ऊठाऊँ...
रंग-बिरंगी फूलें......
मैं हूँ बागों की अनोखीं रानी,
प्यारी रंगों में बिभोर हूँ...
झूम ऊठूँ प्राकृतिक के धून में,
ना तुमसे मैं अब दूर हूँ...
रंग-बिरंगे फूलें......
✍️विकास कुमार लाभ
मधुबनी(बिहार)
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