शिवरात्रि

भोले नाथ देखो चले, सर्प गले संग भले।
खुश गौरा होने लगी , तपस्या पूरी हुई।।

आज घर आने वाले, भस्म अंग लगा डाले।
लगते मनभावन, गौरा शिव की हुई।।

माता मैना चिंता करे, नाजों पली बेटी डरे।
काले - काले नाग देख, बेटी बावरी हुई।।

चली गौरा भोला संग, ढ़ली देखो पिया रंग।
शिवरात्रि आज आई, भक्तों में खुशी छाई।।
***
कविता झा काव्या कवि
रांची, झारखंड

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