गाड़ियां लौहार की छोरी भाग 5




पिछले भाग में हमने पढ़ा कि गाँव का एक लड़का सरवणी लौहार को छेड़ता हैं । पंचायत में गाँव वालों के सामने तो वह सरवणी से माफ़ी माँग लेता है । पर उसके दिमाग़ में उससे बदला लेने की खुराफ़ात चल रही हैं । अब आगें।
पंचायत के बाद सब लोग निश्चिन्त हो अपने कामो में लग गए । दो - चार दिन तो सरवणी का भी घर से बाहर जाना बंद था । पर पापी पेट हैं । कब तक  घर में पड़े रह सकती थी । इसलिये फिर से रोजाना सामान बेचने गाँव में आने लगी । कुछ दिन तो सब ठीक ही रहा । पर फिर से कुछ  लड़के जगह - जगह टोली बनाकर बैठने लगें । उस लड़के को सरवणी की समय -  समय पर खबर देते रहतें । वो कब कहा जाती हैं कब कहा से आती हैं ।
इसी तरह से कुछ दिन आराम से कटे । सब निश्चिन्त हो अपने काम में लग गए । सब नॉर्मल हो गया । पर एक दिन वो समय आ ही गया जिसका उस वहसी दरिंदे को  इंतजार था । खबरियों  ने खबर दी कि सरवणी अकेली 
खेतो की तरफ गई हैं । बस फिर क्या था शिकारी ने शिकार पर हमला कर दिया । अचानक हुए हमले में 
सरवणी को संभलने का मौका भी नही मिला । उस कुत्ते ने  अपने पंजो से उसे बुरी तरह घायल कर दिया । अपने बचाव की जद्दो जहद में इधर - उधर भागने से सरवणी बुरी  तरह हॉफ रही थी । जगह - जगह चोटे लग गई थी ।
बुरी तरह घायल सरवणी ख़ुद को बचा नही पा रही थी ।चीखने - चिल्लाने का कोई फायदा नही था । क्योंकि खेतों पर कोई नही था उन दोनों के अलावा । सिर्फ घना अँधेरा 
गहरा सन्नाटा ,उसे चीरती सरवणी की चीखें । अब लाचार हो थक कर एक जगह बैठ जाती हैं ।
वहाँ क़िस्मत से उसके हाथ कुछ ऐसा लगा जिसने उन दोनों की जिंदगी  ही बदल दी । 
उसके हाथ दरांती लग जाती हैं और जैसे ही वो लड़का उसके पास आता हैं वो दरांती उसके पेट में घोप देती हैं और वहाँ से भाग जाती हैं ,जमीदार का लड़का वही पड़ा तड़प रहा है ,उठने की कोशिश करते हुए चलते चलते रास्ते पर आ जाता हैं, मदद की उम्मीद में चिल्लाता हैं ,बेहोश हो कर गिर पड़ता हैं ,उधर सरवणी भागते भागते घर पहुँच जाती हैं ,जाकर सारी बातें घर वालों को बता देती हैं ,डर के मारे थर थर कांप रही  बेटी को उसकी माँ सीने से लगा पुचकारती हैं ,और शांत होने को कहती हैं ,कुछ शांत होने पर मुँह -हाथ धुलवाकर उसके कपड़े बदलवा देते हैं ,और समझाते हैं कि कोई आये और पूछे घबराना मत और ना ही इसके बारे में किसी को बताना ,सरवणी हा में सिर हिलाती हैं ,उसकी माँ उसके लिए खाना ले आती हैं ,खाना खाकर सब लोग सोने चले जाते है, पर सरवणी करवटे बदल रही हैं ,उसे नींद नहीं आ रही ,चिंता खाये जा रही हैं ,क्या होगा जब सबकों सच पता लगेगा ,ये सब सोचते हुए कब सुबह हो गई पता भी नहीं चला ,सब उठकर अपने रोजमर्रा के कामो में लग जाते हैं तभी अचानक कोई आकर आवाज देता हैं और सब चौक पड़ते हैं .....  
            जारी हैं .........
 नेहा धामा " विजेता "बागपत , उत्तर प्रदेश

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