मेरी दुनिया थी तू भाग_5


     रितु ,सुयश के साथ कार में बैठ गई ।सुयश ने  उसी कॉफी शॉप के सामने कार रोकी।
रितु ने जैसे देखा उसका दिमाग गरम हो गया,उसने कहा प्लीज डॉक्टर सुयश अगर आपको यहीं चलना है, तो आप मुझे घर पर ही ड्रॉप कर दीजिए और कॉफी मैं बहुत अच्छा बनाती हूं ,आप मेरे घर पर ही अपनी बात  कह भी सकते हैं।
सुयश समझ गए कि इस कॉफी शॉप से शायद रितु की कोई गहरी याद जुड़ी है,उन्होंने कार आगे बढ़ाया और दूसरे कैफे में पहुंचे।
बिना लाग लपेटे कॉफी की चुस्की लेते हुए डॉक्टर सुयश ने कहा_रितु मैम,आप ज्यादातर गुमशुम रहती हैं,केवल बच्चों के बीच ही खुश रहती हैं।
रितु ने कहा _हां ,मुझे बच्चे पसंद हैं।
मैने सुना आपकी एक बेटी थी _,सुयश ने बात को आगे बढ़ाया।
जी सही सुना,मेरी एक छोटी बेटी थी ,जो अब इस दुनिया में नहीं है 10 साल हो गए ,उसे मुझसे बिछड़े हुए।
आपने दूसरी शादी का नहीं सोचा ,आपको अकेलेपन से डर नहीं लगता _डॉक्टर सुयश ने कहा।
कहां है अकेलापन ,रितु हंसी।मुझे तो लगता है 24 घंटे भी कम हैं मेरे लिए,क्लास,और फिर बच्चों के बीच कैसे समय निकल जाता है ,पता ही नहीं चलता।
और आप मुझसे जो पूछ रहे हैं,अब आप बताइए आपने  अब तक क्यों नहीं की शादी ?_रितु ने हंसते हुए कहा।
दोनों हंस पड़े।
सुयश ने कहा _मुझे किसी ने  पसंद ही नहीं किया।
रितु ने कहा _ओह!,आप इतने बुरे भी नहीं लगते।
सच_सुयश ने कहा।
और क्या ? इतने नेक,स्मार्ट डॉक्टर को तो कोई भी लड़की अपना दिल दे ।
अब सच सच बताइए,आपने शादी क्यों नही की_रितु ने मजाकिया लहजे में कहा।
तभी डॉक्टर सुयश का फोन बज उठा ,उनकी मां का फोन था।
ओह ,रितु जी मां का फोन है,कोई मेहमान आया है मुझे जाना होगा , चलिए मैं आपको रास्ते में ,घर छोड़ कर निकल जाऊंगा।
रितु ने कहा _हां ,मुझे भी देर हो रही है।
दोनों उठ खड़े हुए।
आज बहुत दिनों बाद रितु खुल कर हंसी थी,डॉक्टर सुयश के साथ उसका समय बहुत अच्छा कटा।
डॉक्टर सुयश ने उसे घर पर छोड़ा और फिर चला गया।
राधा गौर से रितु को देख रही थी ,जब से काम कर रही थी ,हमेशा परेशान ही देखा था,रितु कहती नहीं थी लेकिन उसकी आंखों से दिखता।

दो दिन तक डॉक्टर सुयश का कोई मैसेज नहीं आया।तीसरे दिन रितु ने खुद फोन किया ,दूसरी तरफ से डॉक्टर सुयश की मां ने फोन उठाया और  बताया सुयश की तबियत ठीक नहीं ,उसने दवा ली है और अब सो रहा है।
रितु को चिंता हुई तो ,उसने कहां आंटी मैं आ रही हूं।
थोड़ी देर में रितु सुयश के घर पहुंच गई।सुयश रितु के बारे में सब कुछ मां को बता चुका था,इसलिए उसकी मां ,रितु से अनजान नहीं थीं।
रितु ने पूछा_क्या हुआ है आंटी डॉक्टर सुयश को।
सुयश की मां ने कहा_ उसका बीपी काफी  बढ़ गया था।
लेकिन कैसे?अभी परसों तक सब ठीक थे _रितु ने कहा।
अब मैं क्या बताऊं रितु।सुयश और नेहा दोनों मेडिकल कॉलेज में साथ साथ थे ,एक दूसरे को पसन्द भी करते थे,लेकिन नेहा महत्वकांछी थी उसे विदेश जाना था,उसने सुयश से विदेश चलने को कहा तो सुयश ने मना कर दिया,वो सुयश को छोड़ चली गई।
उसके जाने के बाद सुयश एकदम अकेला पड़ गया था ,उसके बाद नेहा ने वहां शादी भी कर ली।खबर मिलने के बाद सुयश का प्यार ,शादी सबसे विश्वास उठ गया ,वो इस कदर टूटा कि अगर उसे मेरा ख्याल न होता तो शायद अपने आप को ही खत्म कर लेता।
जब कभी मैं उससे कहती बेटा मैं बूढ़ी हो रही हूं,बहू तो ले आ।
तो मुझ पर बहुत गुस्सा होता और कहता की तुम्हें बहु लानी है तो ले आओ ,लेकिन उसे मैं पत्नी का प्यार ना दे पाऊंगा।
लेकिन सालों बाद जबसे वह तुमसे मिला  है  उसकी आंखों में मैने पहले वाली चमक देखी।वह तुम्हें पसंद करता है।
उस दिन मैंने दरवाजा खोला तो नेहा आई हुई थी ,तब मैंने सुयश को फोन किया था।
सुयश तुमसे मिलकर खुशी खुशी घर में दाखिल हुआ तो ,नेहा को सामने पा अचंभित रह गया।
नेहा ,सुयश से लिपट गई ,उसके बाद मैं कमरे से चली गई।
बाद में मैंने सुयश को चीखते सुना कि _चली जाओ तुम मेरे घर से।मेरी दुनिया ,मेरे दिल में तुम्हारी कोई जगह नहीं है।
उसके बाद नेहा तो  चली गई ,लेकिन सुयश धड़ाम से गिर बेहोश हो गया।
मैने उसके दोस्त को बुलाया उसने दवा लिखी थी और नींद की दवा भी दी,ताकि वह ज्यादा सोचे नहीं।
इतना कह सुयश की मां चाय बनाने चली गईं।
रितु बैठी बैठी सुयश को निहार रही थी,तभी सुयश की आंख खुल गई,,सामने रितु को देख वो हड़बड़ा गया।
रितु ने कहा _क्यों डॉक्टर साहब आपको क्या हो गया?दूसरे का इलाज करते करते खुद ही इलाज कराने लेट गए।
आप कब आईं?_सुयश ने कहा।
थोड़ी देर हो गई _रितु ने कहा।
ओह तो मां ने आपको पूरी राम कहानी बता दी होगी _सुयश सर पर हाथ ठोकते हुए बोला।
जी हां,मुझसे कुछ भी छुपा नहीं।
लगातार रितु का आना जाना सुयश के घर होने लगा जब तक सुयश ठीक नहीं हो गए।
उसके बाद 2 साल के डेटिंग के बाद सुयश और रितु वैवाहिक बंधन में बंधने को तैयार हो गए।

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