मेरी दुनिया थी तू भाग_4


      रिया ओ रिया _वह चिल्ला रही थी।राधा भी खाना छोड़ दौड़ती हुई कमरे की ओर भागी।दोनों ने हिलाया डुलाया लेकिन कोई हरकत नहीं ।राधा ने कहा _अब रिया बेबी नहीं रही मैडम।
रितु बुत बनी हुई थी।राधा ने उसकी खुली आंखों को बंद किया ,और नमित को फोन मिलाया।
नमित शहर से दूर ग़ज़ल के साथ पार्टी कर रहा था।
बहुत मुश्किल से कई बार फोन करने के बाद उसका फोन उठा तो,राधा ने रोते हुए बताया रिया बेबी अब नहीं रहीं आप आजायिए साहब,मैडम भी गुमशुम हो गई हैं।
नमित ने कहा वो  सुबह से पहले  नहीं आ पाएगा ,वैसे तो सभी रस्में सुबह ही होंगी कह कर फोन काट दिया।
राधा अवाक रह गई ,उसे आश्चर्य हो रहा था कि क्या बड़े  लोगों में जज्बात भी खत्म हो जाते हैं। मैं रिया की कुछ नहीं थी,लेकिन उसकी भोली मुस्कुराहट,उसका प्यार दिखाना सबकुछ कितना चुम्बकीय था,एक अनजान आदमी भी उस प्यारी बच्ची से प्यार कर बैठता ,और उसके अपने पिता को  उसकी मृत्यु पर भी कोई दुख नहीं।
आस पास के लोग ,दूर के रिश्तेदार भी खबर सुन पहुंच गए।
सुबह देर से नमित पहुंचा तो सभी रिश्तेदारों ने पूरी तैयारी कर ली थी उसे दफनाने की।आते ही घड़ियाली आंसू बहाने लगा।लोगों में खुसर फुसर हो रही थी कि कैसा आदमी है ,इसे अपनी बेटी के जाने का भी गम नहीं था ,अब आया है।
खैर सारे क्रिया कर्म ,संस्कार हो गए।4 दिनों के बाद शांति पाठ आयोजित किया गया।

अब सब आजाद थे, नमित तो पहले से ही आजाद था।रितु के लिए रिया एक मकसद ,एक जिम्मेदारी और सहारा थी भी और नहीं भी ,उसे भी छोटी रिया ने मुक्त कर दिया था।
10 दिन बाद ही रितु ने वकील को बुला नमित को तलाक के कागज तैयार करवाए ,और अपने दस्तखत कर नमित के पास भेज दिया।
नमित ग़ज़ल को लेकर एक फ्लैट में रहने लगा था।
नमित तलाक के पेपर देख कर हड़बड़ा गया,कंपनी में रितु के भी शेयर थे ,बहुत सारी प्रॉपर्टी में आधी की हिस्सेदारी थी।
मनाने आया , रितु जो भी हुआ वो भूल जाओ ,अब हम नए सिरे से नई शुरुवात करेंगे। मैं ग़ज़ल को भी छोड़ दूंगा ,प्लीज तलाक की बातें भूल जाओ।
रितु के मन में अब नमित के लिए केवल नफरत ही नफरत थी।उसे बार बार अपनी रिया का शव दिखता था जो उस रात को पूछ रहा था_मम्मा पापा नहीं आए ,मुझे देखने,और उसका चेहरा नमित के लिए नफरत से भर जाता।
उसने लाख मनुहार के बाद भी , रितु अपने इरादे पर दृढ़ थी।
आखिर थक हार कर नमित ने तलाक के पेपर पर दस्तखत कर दिए।
रितु ने अपने हिस्से के शेयर  बेच कर जो पैसे इक्कट्ठे किए उसे चैरिटी में दिया और एक स्कूल खोला जिसका नाम रिया रखा ,जिसमें मानसिक मंदित बच्चों की पूरी देखभाल हो सके ,दुनिया में ऐसे बच्चों के लिए जो शोध हो रहें उनकी जानकारी और नई अत्याधुनिक सुविधाएं मिल सके।
इसके अलावा वो एमबीए कॉलेज में गेस्ट लेक्चरर के रूप में लेक्चर देने जाती।
उसने अपने आप को इतना व्यस्त कर लिया कि ,नमित जैसे शख्स और उसकी बेवफाई को भूल जाए,लेकिन रात को जब वो सोती तो उसको ,उसकी प्यारी गुड़िया रिया अपने आस पास लगती ,जैसे उसके बाल सहला रही हो,शायद ही इतने  सालों में एक दिन भी रिया उससे दूर हुई हो।
रितु बच्चों के बीच जाती उनसे प्यार करती ,उनके माता पिता के लिए जागरूकता अभियान चलाती ,विशेषज्ञों को बुला उनसे कैसे व्यवहार करना है के सवाल को सुलझाती।
दिन,साल बीत रहे थे।मानस हमेशा फोन करके हाल खबर पूछता रहता।एक दिन मानस ने बताया _रितु नमित के ऊपर  ग़ज़ल ने रेप का केस कर दिया है?
ओह!! रितु ने कहा।
पर वे दोनों तो लिव इन रिलेशन  में थे _रितु ने कहा।
हां तुम्हारे कंपनी के शेयर निकालने के बाद,बहुत सी खबरें फैली जिससे इन्वेस्टर का भरोसा उठने लगा ,और इन्वेस्टर में भगदड़ मच गई।मैने बहुत कोशिश की कंपनी को बचाने की ,लेकिन कंपनी कर्ज में डूब गई है।
जिसके कारण नमित के अनाप शनाप खर्चे बंद हो गए ,इससे ग़ज़ल और उसमें झगड़े बढ़ने लगे।
वो अब धीरे धीरे शराब में डूब रहा था,उसका दिल दिमाग काबू में नहीं था ,एक दिन आवेश में आकर उसने ग़ज़ल पर  हाथ उठा दिया ,जिसका परिणाम ये हुआ कि गज़ल ने उसपर रेप का आरोप लगवा कर गिरफ्तार करा दिया।

रितु कुछ नहीं बोली।मानस ने कहा _रितु लौट जाओ नमित के पास ,उसने सब कुछ खो दिया ।
मानस ,तुम एक बात अच्छे से सुन लो _नमित मेरा कल था ,आज मेरी जिंदगी में उसका कोई अस्तित्व नहीं है।अपनी करनी का फल इंसान को मिलता ही है ,ये ईश्वरीय न्याय है,आगे से नमित का जिक्र भी मेरे सामने न करना।

आज बच्चों के लिए आई कैंप लगा था,डॉक्टर सुयश को आना था,जल्दी जल्दी तैयार हुई। जब तक रिया थी और रिया के जाने के 5,6 वर्षों तक कैसे  भागदौड़ में बीते कि रितु ने  कभी अपने आप को आइने में ठीक से देखा ही नहीं था।

डॉक्टर सुयश बहुत अच्छे इंसान थे,वो हमेशा गरीबों की सहायता करते थे ,जब रितु बच्चों के लिए निशुल्क आई कैंप की बात करने गई थी तो उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया था ,तब से वे बिना कहे ही महीने दो महीने में कैंप लगा देते थे।
रितु के बारे में सुयश को सब मालूम था।उनका झुकाव  रितु की तरफ हो रहा था,उन्होंने कभी शादी करने को नहीं सोचा था लेकिन रितु से मिल उसके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाए।
रितु को देर हो रही थी ,बाल धुले थे वे सूखे नहीं थे ,इसलिए खुले ही रखे,हल्की लिपस्टिक लगाई ,काजल लगाया ,साड़ी पहन कर और तैयार होकर जल्दी  स्कूल पहुंची ।
डॉक्टरों की टीम पहुंच चुकी थी,डॉक्टर सुयश ने रितु का अभिवादन किया,और अपने काम में लग गए।
चेक अप के बाद डॉक्टर सुयश चले गए।थोड़ी देर में रितु के मोबाइल में मैसेज आया ,
"हैलो मैम,
मैं आपसे बहुत दिनों से कुछ कहना चाहता था,क्या आप मेरे साथ कॉफी पीना पसंद करेंगी
अगर आप हां कहेंगी तो मैं शाम को आपके घर से आपको पिक कर लूंगा।
अगर आपका जवाब न होगा तो भी मुझे स्वीकार है।
डॉक्टर सुयश"

रितु ने जवाब में लिखा ,ठीक है आप 5 बजे आ जाइएगा।
सुयश से इंतजार ही नहीं हो पा रहा था ,वो रितु के घर 5 बजने में 10 मिनट पहले आ गया।रितु ने छत से देखा ,सुयश रितु के घर से कुछ दूरी पर अपनी कार रोक 5 बजे का इंतजार कर रहा था।5 बजते ही वो रितु के घर के सामने पहुंच गया।
रितु को बहुत हंसी आई।

क्रमशः

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