मेरी दुनिया थी तू भाग_3
शाम को मानस घर आया,रिया की हालत देख उसे रितु से सहानुभूति हो रही थी ।
उसने बताया कि नमित ने तुम्हारे बारे में झूठी खबर फैलाई थी कि, तुम किसी को भी देखकर अपना आपा खो देती हो,हिंसक हो जाती हो।और ये सब सुना उसने ऑफिस के स्टाफ में अपने लिए सहानुभूति बटोरी हुई है, मैं भी इसी कारण कभी घर नहीं आया _मानस कह रहा था।
रितु कुछ न बोली।
मानस ने आगे कहा_ नमित ने करीब दो साल पहले पर्सनल सेक्रेटरी की पोस्ट का विज्ञापन दिया था ,जिसमें कई लड़कियां इंटरव्यू देने आईं थीं,उसमें गजल नाम की भी लड़की थी ,जो बुद्धि और खूबसूरती में बेमिसाल थी ,उसका चयन हुआ,और उसके बाद से नमित का झुकाव ग़ज़ल की तरफ होता गया।आज भी नमित उसी के साथ गया है।बिजनेस मीटिंग तो एक बहाना होता है जो महज 2,3 घंटों में खत्म हो जाता है ,और 2,3 दिन ये लोग सैर सपाटा करेंगे।
रितु उन बातों को सुन अंदर ही अंदर हिल गई ,उसके पांव तले से जैसे किसी ने जमीन ही सरका दी हो।उसके बाद मानस ने क्या कहा क्या नहीं ,उसे कुछ सुनाई नहीं दिया।
थोड़ी देर बाद मानस ये कहता हुआ उठ खड़ा हुआ , रितु ये बात तुम नमित से मत बताना ,और फिर चला गया।
उसके जाने के बाद , रितु के अंदर एक द्वंद चल रहा था क्या ,मुझे अब एक छत के नीचे इस धोखेबाज के साथ रहना चाहिए,लेकिन मेरे पास अभी रिया की जिम्मेदारी है ,11 साल हो गए अपना जॉब छोड़े,फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिया के लिए जरुरी है ,11 साल की रिया हो गई है,मुझे कुछ हो गया तो रिया का क्या होगा।
वह बहुत कुछ सोचती ,फिर उसने फैसला किया कि वो एक छत के नीचे रहेगी लेकिन बिना पति पत्नी की तरह ,सिर्फ रिया की खातिर।
4 दिन बाद नमित आया ,रिया को प्यार किया फिर रितु के पास आया। रितु शांत थी,उसने रितु को छेड़ने की कोशिश की तो रितु बिफर पड़ी,उसके अंदर का ज्वालामुखी लावा बन फूट पड़ा।
क्यों कर रहे हो झूठा दिखावा,तुम नाटक करते हुए थकते नहीं,घर में बीबी के सामने दिखावा,ऑफिस में स्टाफ के सामने अच्छा होने का दिखावा,बस करो ये दिखावा_रितु एक सांस में कह गई।
क्या कह रही हो रितु ?_नमित भौंचक्का था।
वही जो मुझे पहले कहना था,तुमने हमेशा से मनमानी की। मैं अपना कैरियर बनाना चाहती थी तुमने शादी के लिए इमोशनली ब्लैकमेल किया।
जब रिया हुई तो तुमने मुझे और रिया दोनों को इग्नोर किया ,बहाना काम का।
आज तुम हमसे बहुत दूर जा चुके हो ,तो फिर क्या दिखावा करना। नमित अब तुम पहले वाले नमित नहीं हो जिसे मेरे दर्द पर दर्द होता था।
नमित का मूड अच्छा था, ग़ज़ल के साथ उसने खूब मजे किए थे,इसलिए उसे लगा कि शायद रिया को लेकर रितु परेशान है और अपना गुस्सा निकाल रही है।
उस दिन वो ऑफिस नहीं गया , रितु और रिया के आसपास ही रहा।
अगले दिन ऑफिस जाकर पता चला कि उसके दुबई जाने के बाद रितु ऑफिस आई थी,वह सकते में आ गया उसे यकीन हो गया कि कहीं कुछ तो रितु को मालूम हुआ है,इसीलिए रितु इतना भड़की थी।
मानस से उसने पूछा कि रितु से उसकी बात हुई थी ,तो मानस ने कहा हां ,लेकिन ज्यादा नहीं क्यों क्या बात है?
मुझे लगता है यार रितु को किसी ने मेरे और ग़ज़ल के बारे में बताया है ।
मानस ने ऐसा जताया जैसे कुछ जानता नहीं हो कहा_तुझसे रितु ने कुछ कहा क्या?
नहीं,खुल कर तो नहीं लेकिन मुझे ऐसा लग रहा।
चलो कोई नहीं ,जब उसे पता ही चल गया है तो अब मेरे और ग़ज़ल की राहें और भी आसान हो गईं,और मुस्कुरा कर अपने केबिन में चला गया।मानस उसके कमीनेपन पर दुखी हो रहा था ,बार बार रितु का मुरझाया चेहरा उसे याद आ रहा था।
वह चाह कर भी रितु के लिए कुछ नहीं कर सक रहा था ,क्योंकि वह नहीं चाहता था कि नमित को उसके और रितु के बीच हुई बात चीत का पता भी चले ।
अब तो नमित आजाद हो चुका था ,अब खुलेआम ग़ज़ल के साथ घूमा करता।
रितु ने एक बात साफ कर दी कि, तुम कुछ भी करो ,कहीं भी जाओ,लेकिन इस घर में मेरे रहते किसी को नहीं ला सकते हो,ये घर मेरा है।
बात भी सही थी ,रितु ने अपनी सैलरी से ये विला अपने मामा से खरीदा था ,उसके मामा कनाडा में सेटल हो रहे थे ,इसलिए आलीशान विला कम दाम पर भांजी को बेच दिया था।
अब रितु ने भी ऑनलाइन जॉब ,करना शुरू कर दिया ,घर पर रहकर वह रिया को भी देखती और काम भी करती ।राधा जो उसकी आया थी ,अब वो पूरे समय साथ ही रहती।
कुछ दिनों से रिया की तबियत कुछ ज्यादा ही खराब हो रही थी,उसकी मांसपेशियां ज्यादा अकड़ जा रहीं थी , पैर नील स्याह की तरह हो जाता वह दर्द में रहती।
रितु और राधा मिलकर मालिश करती तो थोड़ा वो सही होती।
रिया का 13वां जन्मदिन आने वाला था ,रितु और राधा मिलकर ही उसका जन्मदिन मना लेती थीं।इस बार रितु ने उसका जन्मदिन मानसिक मंदित बच्चों के स्कूल में मनाने को सोचा था।
जन्मदिन के एक दिन पहले ,सुबह से रिया की सांसें उखड़ रही थीं। रितु को लगा उसे ठंड लग गई है ।
सुन राधा पानी गर्म कर दे,रिया को भाप दिला दूं,मुझे लगता है सीने में कफ जम गई है_रितु ने कहा।
राधा पानी गर्म कर लाई ,रितु ने उसे भाप दिलाया,वो बैठ नहीं पा रही थी।रितु उसे पीछे से पकड़ कर बैठ गई।लेकिन कुछ फायदा नहीं हो रहा था।राधा भाग कर डॉक्टर के पास गई और उसके जो लक्षण दिखाई पड़ रहे थे बताया और दवा ले आई।
रितु ने दवा खिलाया ,रिया की सूनी सूनी आंखें रितु को चुप चाप निहार रही थी,वह दर्द में थी शायद उसके होंठ सूख गए थे चेहरा पीला पड़ गया था।
रात के 8 बज रहे थे।तभी अचानक दस्तक हुई,इस समय कौन आया होगा_,रितु ने सोचा ।राधा खाना बना रही थी,इसलिए उसे ही रिया के पास से उठना पड़ा।
रितु उठ कर दरवाजे तक गई ,कोई व्यक्ति किसी का पता पूछ रहा था,उसे बता वापस आई तो रिया के शरीर में कोई हलचल नहीं होता देख रितु घबरा गई।
क्रमशः
Comments
Post a Comment