दिप तले अंधेरा
किस्मत ने हमसे ये कैसा खेल खेला
ज़िन्दगी में रह गया बस हर तरफ अंधेरा
जो हमेशा जहाँ में खुशियाँ बिखरती रही
आज वही दिल गम में है जैसे दिप तले अंधेरा
रूठ गया मुस्कान होठों से हमारे
भर गया गम की आँसू आँखों में हमारे
कभी किसी के चहरे पर मायूसी न आने दी
आज वही दिल गम में है जैसे दिप तले अंधेरा
कैसा दस्तूर है ये ज़िन्दगी का भी
मौका नहीं देता था कभी शिकायत का भी
जो हर पल अपने ही धुन में ख़ुश रहता था
आज वही दिल गम में है जैसे दिप तले अंधेरा
कोई खता हमसे हुई कुछ खामिया नसीब का
हर रिश्तों की धागे टूट गए फुटते इस किस्मत का
कभी हर पल अपनों के साथ रहे हँसी महफ़िल में
आज वही दिल तन्हा है ऐसे जैसे दिप तले अंधेरा
हमारे जुबाँ भी बेज़ुबाँ होजाता है ज़िन्दगी में
ज़ब आँखों की नमी आग सी पलकों पे जलता है
कभी लगता था शब्दो की मेला इस दिल के दुनिया में
आज वही दिल विरान हुआ नैना जैसे दिप तले अंधेरा...!!
🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻
नैना.... ✍️✍️
Comments
Post a Comment