लौह पुरुष
जो कहलाए आयरन मैन
अपने देश में शांति फैलाई
खोकर अपना सुख और चैन
31 अक्टूबर अठारह सौ
पिचहत्तर को जन्में नाडियाड में
झाबेर भाई और लाडबा पटेल
के आंखों के उज्ज्वल तारे बने
झाबेरबा संग रिश्ता जोड़ा
गृहस्थी के संसार में
तेंतीस वर्ष की अल्पायु में
वो छोड़ गई मझधार में
बारडोली सत्याग्रह की डोर
संभाली अपने हाथ में
सफल करके दिखलाया
सब लोगों के साथ में
मिली उपाधि तब महिलाओं से
और बन बैठे वो सरदार
अपने देश की सेवा के लिए
उनके मन में जोश अपार
देश का एकीकरण कराया
गृहमंत्री के पद पर रहकर
अखंड भारत का स्वप्न सजाया
त्याग और तप के बल पर
भारत रत्न इन्होंने पाया
भारत के विस्मार्क बने
एकता की मूर्ति बनकर
भारत के यूनिटी मार्क बने
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