दीपक तले अंधेरा
ये दुनिया भी कमाल की है । क्या क्या रंग दिखाती है । उजालों के जो ठेकेदार बने बैठे हैं , उनके घरों की रोशनी गायब हो जाती है । अध्यापक का बेटा अनपढ रह जाता है थानेदार का चोर उचक्का । जज की नाक के नीचे बाबू तारीख बदलने के पैसे लेता है । डॉक्टर अपने घरवालों का इलाज नहीं करता । जिनको हम बड़े बड़े महानायक समझते हैं वे नशेड़ी निकल जाते हैं । दुनिया भर से सवाल पूछने वाला मीडिया खुद सवालों के घेरे में है । कानून बनाने वाले सांसद विधायक निरक्षर हैं । धर्म की प्रतिमूर्ति समझे जाने वाले धर्म गुरु दुष्कर्म के आरोपों में जेल में बंद हैं । जेलर कैदियों को मोबाइल से लेकर सब कुछ उपलब्ध करवा देता है । भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे लोग ईमानदारी पर भाषण झाड़ते हैं । धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदार एक समुदाय विशेष का तुष्टिकरण करते हैं । सर्वजन समाज की बात करने वाले एक जाति विशेष का ही काम करते हैं । समाजवाद का राग अलापते अलापते करोडपति बन गये । नारीवादी कहलाने वाले "मी ठू" की चपेट में आ गये । बड़े बड़े शायर जेहादी मानसिकता के निकले । बड़े बड़े बुद्धिजीवी किसी के गुलाम निकले । सबका पेट भरने वाला किसान भूखा सो जाता है । घर घर दूध बेचने वाले दूधिये के बच्चे को दूध नहीं मिलता है । सबके पैरों में जूते पहनाने वाला मोची खुद नंगे पांव रहता है । सबको हंसाने वाला विदूषक खून के आंसू रोता है । मोटिवेशनल स्पीच देने वाला व्यक्ति एक दिन आत्महत्या कर लेता है । अफीम बोने वाला आदमी खुद अफीम नहीं लेता है । किसी ने सच ही कहा है कि जहां पे सवेरा हो वहीं पे बसेरा है और ज्ञान का आलोक फैलाने वाले दीपक तले अंधेरा है ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
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