बेटी

 कहते हैं, घर मे जब जन्म लेती है बेटी
            ईश्वर की सौगात, 
तारों की शीतल छाया है बेटी
माँ के आंसू और पिता  का गम बांटती  हैं बेटी
   खुशियाँ साथ लाती हैं बेटी
         आगंन की चिड़िया है
           अकेलेपन  का साथ है
त्याग और  समर्पण की मुरत है बेटी
         बेटीयाँ भी कम नहीं
रोशन करते कुल का नाम  बेटे
दो कुलो  को रोशन करती है बेटी 
माँ का अभिमान पिता का गुमान है बेटी
ना समझो पराया धन  दो घरों की शान है बेटी l

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