आइना बन जाऊं मैं
*********************
और थोड़ा सा तो वक्त बचा है,
जरा इंतजामें सफर कर लूं।
जो जिंदगी गुजरी है अब तक,
वो लम्हें फिर से बसर कर लूं।
थोड़ा सा रुककर अभी जरा,
एक बार सुस्ताने तो दो मुझे,
सबकी फिक्र में कटी जिंदगी,
अब अपनी फिकर कर लूं।
बंद आंखों में देख लूं फिर से ,
अपनी दास्तां के खास पल ,
जरा पूरी जिंदगी के किस्सा ही,
इक छोटी सी खबर कर लूं।
टिक टिक करती घड़ी और,
रुक रुक कर चलती सांस मेरी,
समय से बंधी सांस की डोर पे,
मजबूत अपनी पकड़ कर लूं।
पके हुए फलों की तरह जो,
बिखरे हैं जमीन पर ”बेफिक्र",
तेरे मेरे कुछ ख्वाबों को थाम,
दोनो की एक डगर कर लूं।
**********************
~रंजन लाल "बेफिक्र"✍️
**********************
Comments
Post a Comment