"मजबूरियों में"
जिंदगी तूने मुझे, जीना सिखा दिया
सोए हुए ख्वाब को, फिर से जगा दिया ।।
मुश्किलों से मुझे, लड़ना सिखा दिया
उलझनों से मुझे, सुलझना सिखा दिया ।।
जिंदगी तूने मुझे जीना सिखा दिया...।
मजबूरियों को मुझे ,समझना सिखा दिया
दर्द में भी मुझको, हंसना सिखा दिया ।।
जिंदगी तूने मुझे जीना सिखा दिया...।
टूटी हुई उम्मीदों को, फिर से जगा दिया
मंजिल को मेरी, मुझसे मिला दिया ।।
जिंदगी तूने मुझे जीना सिखा दिया...।
मजबूरियों में भी मुझको,हौसला दिया
भटके हुए राही को, जैसे रस्ता दिखा दिया ।।
जिंदगी तूने मुझे जीना सिखा दिया
सोए हुए ख्वाब को, फिर से जगा दिया ।।
"स्वरचित"
कविता गौतम...✍️
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