क्या लिखूँ?"


           
     वो कहती हैं मुझसे हमेशा,
     कुछ अलग -सा गीतलिखो ।
     खुशियों के सुरीले बोल लिये,
     मीठे -मीठे से गीत  लिखो ।
     कोयल- सी मीठी हो जो ऐसी,
     मधुर -मधुर सा संगीत लिखो ।
     खिल जाये उपवन की कलियां,
     ऐसा सुन्दर -सा गीत चुनो ।
     रंगों की सतरंगी रंगों वाली ,
     हो जाये ऐसी बरसात  लिखो।
     इन्द्रधनुष  रंगों -सी सुन्दर ,
     मधुरिम मधुर गीत चुनो ।
     राहों के कंटक -वंटक छोड़ो,
     फूलों की सुन्दरता को देखो ।
     छोड़ो दुख के राग कष्टदायी ,
     कोई सुखद -सा गीत चुनो।
     अमावस की छोड़ो कालीरातें ,
     चाँदनी  चंचल रात  चुनो ।
     वो कहती हैं मुझसे हमैशा ,
     कुछ अलग सा गीत लिखो ।
     छोड़ो समाज की सारी ,
     कटुता, ढकोसला ,घटियापन,
     उसमे से सुन्दर से सुन्दर,
     उल्लासित करदे संगीत चुनो ।
     छोड़ो नीरस-सी सारी बातें,
     सरस मधुर-सा गीत चुनो।
     जंगल के कांटों को छोड़ो,
     बगिया के सुन्दर फूल चुनो।
     पतझड़ के मौसम को छोड़ो,
     वसन्त के सुन्दर गीत लिखो।
     सबके सब सिक्के के दो पहलू,
     किसको छोड़ें किसको लिख दें।
     हो जाये समाज ये रामराज्य सा,
     बस यही कामना ऐसा गीत मेरा।
     
     डॉ. सरला सिंह "स्निग्धा"
     राजकीय विद्यालय में हिन्दी प्रवक्ता
     दिल्ली

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