अधूरी प्रेम कहानी
क्या लिखूं मैं वो अनजानी अधूरी कहानी ,
दो दिलो में सिमटी वो प्रेम कहानी ।
बेखबर बेपरवाह बीते वो पल ,
कब सिमट गयी वो उसमे उन लम्हों कि रवानी ।
वो भी क्या दिन था जिस दिन मिला था मैं उस अनजानी से,
छिपकर तकती वो कहती नजरे ,
आस पास रहकर सब कुछ समेटती वो नजरे ।
गुम होते वो पल ,बढते वो अरमान ,
नया जीवन जीने को वो चढ़ते परवान ।
वो भी तो थे बिल्कुल अनजान ,
हँसते थे मिलते थे करते थे वो बातें तमाम ।
मिलते ही खो जाते,
शायद कभी न पुरे होने वाले सपनो में ।
पर घूमा जब वो समय का पहिया ,
कर कुछ न सके ,
हुए मजबूर हर किसी के लिये,
छोड़ दिए वो सपने तमाम ।
थे मजबूर वो एक दूसरे की कही बातों से,
समझा न सके किसी को वो अपने दिल के वो जज्बात ।
बीतते गये पल ,बन गये वो पल से दिन
दिन से महीने और महीनों से बन गये साल ।
थे मजबूर ,हावी थे हालात ,
छोड़ सारी मिलने कि आस ,
चल पड़े थे मिलाने जीवन से ताल ।
आज भी समझ नही आती
वो अनजानी अधूरी ,
दो दिलो में सिमटी वो प्रेम कहानी ..............
मुकेश दुहन "मुकू"
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