"खुशी"
क्या पता है तुम्हे क्या होती है खुशी
कभी कभी आंखों से आंसू बनके भी
छलकती है खुशी....!
कुछ पाने की चाहत
और उसको पा लेने के बीच
जो उम्मीद होती है ना
वो होती है खुशी....!
कल की फिकर
और आज की कश्मकश के बीच
जो दो पल का सुकून होता है ना
वो होती है खुशी....!
बीज बोने से लेकर
फसल को काटने के बाद
एक किसान की
जब पूरी मेहनत वसूल होती है ना
वो होती है खुशी....!
सौ दर्द सह कर
जब एक मां
अपने बच्चे का मुंह देखती है ना
वो होती है खुशी....!
किसी रोते हुए को हंसा कर
मन को जो सुकून मिलता है ना
वो होती है खुशी....!
सच कहूं तो इंतजार के साथ साथ किसी
उम्मीद के पूरे होने का ही दूसरा नाम है खुशी....!!
कविता गौतम...✍️
Comments
Post a Comment