धोखा भाग ९
ऐसा आरोप लगाने की वजह क्या है? _सबइंस्पेक्टर ने कहा।
सर मैं भैया की अनुपस्थिति में जब उनके घर गया था ,अभी 3 महीने पहले तो ,मुझे उनके कमरे में किसी पुरुष के आने जाने का शक हुआ था।
अच्छा!!_संजय ने गंभीर मुद्रा में सर हिलाया।
देखता हूं तुम्हारी भाभी से बात करके _सबइंस्पेक्टर संजय ने कहा।
पर सर !! इस समय ?अभय बोला।
अरे नहीं, मैं ये नहीं जताऊंगा कि हमें उन पर शक है। मैं बस रूटिनल पूछ ताछ करूंगा एसिड हमले के सिलसिले में ।
थाने से एक सिपाही शैव्या के पास पहुंचा_साहब ने आपको थाने बुलाया है।
मुझे!! _शैव्या हड़बड़ाई।
जी ,थोड़ी पूछ ताछ करनी है साहब को_सिपाही ने बात बताई।
ओके मैं अभी थोड़ी देर में आती हूं,तब तक अभय हॉस्पिटल पहुंच गया।
उसने अभय को देखकर कहा_भैया अच्छा हुआ अभी आप आ गए ,थोड़ी देर रचित के पास रुकें , मैं थोड़ा बाहर हो कर आती हूं ,जरूरी काम है।
अभय ने कहा _ठीक है भाभी , मैं भैया के पास हूं,आप अपना काम कर आइए।
शैव्या सीधे थाने पहुंची।
सब इंस्पेक्टर सर कहां हैं? _शैव्या ने दरवाजे पर खड़े सिपाही से पूछा।
सिपाही ने अंदर कमरे की ओर इशारा किया। शैव्या को आया देख सब इंस्पेक्टर संजय ने उसे बैठने को कहा,और सवालों का सिलसिला शुरू किया।
मैडम जब ये हमला हुआ तो आपने पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट क्यों नहीं लिखवाई?जबकि थाना हॉस्पिटल से ज्यादा दूरी पर नहीं था_ऑफिसर संजय ने पूछा।
मैं रचित को लेकर इतना परेशान थी कि मुझे कुछ होश ही नहीं रहा_शैव्या का जवाब था।
आप बाद में भी लिखवा सकती थीं, कम से कम जो अपराधी थे उन्हें सजा मिल सकती थी।आपके पति की किसी से दुश्मनी_आगे बात बढ़ाते हुए संजय ने पूछा।
जी नहीं, उनकी किसी से दुश्मनी नहीं थी।
ठीक है आप जा सकती हैं_संजय ने कहा।
शैव्या के जाते ही ,संजय ने हेड कांस्टेबल ,राजेंद्र को शैव्या के फोन की 3 महीने की डिटेल मोबाइल नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी से लाने को कहा।
तफ्तीस जोरों पर थी।एक महिला सिपाही शैव्या पर बराबर नजर रखने के लिए लगा दिया गया।
सर मैं शैव्या के फोन की डिटेल लाया हूं,_राजेंद्र ने थाने में घुसते हुए कहा।
सब नॉर्मल ?_संजय ने पूछा।
नहीं सर ,एक नंबर पर कई महीनों से लगातार बात होती थी ,देर रात तक।
लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि रचित पर हमले से एक दिन पहले तक उस नंबर पर बात हुई ,उसके बाद नहीं,और अब वो नंबर बंद आ रहा ।
शैव्या को पूछताछ के लिए फिर बुलाओ,अब सच वही उगलेगी_संजय ने कहा।
शैव्या आई ,उसे एक कमरे में अकेले बैठाया गया।जो संजय बहुत नरमी से पूछताछ कर रहे थे ,अब उन्होंने कड़ाई से पूछना शुरू किया ।
किसका है ये नंबर ,जिस पर आप लगातार बात करती थी।
काफी कहानी बनाने के बाद , शैव्या टूट गई ,उसने जो कहानी बताई उससे सभी हैरान रह गए।
कोई व्यक्ति कितना गिर सकता है ,उसका जीता जागता उदाहरण थी शैव्या।
शैव्या ने बताना शुरू किया , मैं और राकेश एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे।
आप कह सकते हैं राकेश मेरा पहला प्यार थे ,लेकिन उनका शुरुवात में मेरे प्रति कोई खास आकर्षण नहीं रहा।
लेकिन जब से रचित मेरी जिंदगी में आया ,राकेश मेरे करीब आने लगे।उसके बाद रचित से मेरी शादी हो गई और मैं एक नई दुनिया,नई गृहस्थी में मस्त हो गई।
मैं गुरुग्राम जाकर ज्यादा ही आजाद महसूस करने लगी।
हमारी गृहस्थी चल रही थी ,लेकिन रचित के पास मेरे लिए वक्त कम था,वो इतना व्यस्त हो गया था कि मैं क्या चाहती हूं ,मेरी क्या जरूरतें हैं सब से बेपरवाह हो चुका था।
इस कमी को दूर करने मैं सोशल साइटों, पार्टीज में अपना मन बहलाने लगी ।
ऐसे में एक ताजा हवा के झोंके की तरह मेरी जिंदगी में फिर से दस्तक दी खुशी ने राकेश के रूप में ।
मेरी बुझी चाहत को फिर से सांस मिल गई।हम दोनों रचित के यूरोप ट्रिप के समय रोजाना मिलते रहे,हमारी शारीरिक और मानसिक प्यास मिट रही थी।
अब हम एक दूसरे की जरूरत बन गए थे।
रचित जब वापस यूरोप से लौटा तो वो अब मुझ पर ज्यादा ही प्यार लुटा रहा था ,लेकिन अब उसकी छुअन मुझे जरा भी अच्छी नहीं लगती ।
मैं बिन पानी की मीन की तरह राकेश के प्यार को तड़प रही थी।
आखिर मैंने रास्ता निकाला ,मैने रचित से कहा मेरी कमर में जिम की वजह से दर्द हो रहा है,डॉक्टर ने फिजियोथेरेपी की सलाह दी है।
रचित जानते हो, जिससे तुमने अपनी फिजियोथेरेपी करवाई थी ,उनका यहीं डीएलएफ फेज 2 में क्लिनिक है।
कौन डॉक्टर राकेश? रचित ने कहा।
हां वही ,मुझे रास्ते में मिले थे ,तुम्हारा हाल पूछ रहे थे।
मुझे क्या पता था कि मुझे भी उनकी जरूरत पड़ जाएगी।_शैव्या ने मुस्कुराते हुए रचित से कहा।
रचित में कहा _कल मैं ऑफिस जाते समय तुम्हें उनके क्लिनिक छोड़ भी दूंगा और मिल भी लूंगा।
संजय पूरी कहानी सुन रहे थे ,लेकिन अभी तक उन्हें कुछ कहानी समझ में नहीं आई ।एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर कोई नई बात नहीं है।
आखिर घूम फिर कर संजय का दिमाग कथित रचित जो हॉस्पिटल में लेटा है ,लेकिन रचित नहीं है शायद?
क्रमशः
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