"श्रीकृष्ण भजन"
"कान्हा तेरे नाम की, करती जय-जयकार।
भक्ति भाव की उर मिरे, बहती निर्मल धार।।
छप्पन मेवा साथ है, चरणामृत की धार।
माखन मिश्री भोग हैं, करूं खूब श्रृंगार।।
जीवन के हर मोड़ पर, तुझसे करूं पुकार।
तुम्हीं मेरे उर में बसे, तुमसे मुझको प्यार।।
तेरे द्वारे पर लगी, मोहन भीड़ अपार।
तेरी दया से ही भरे, भक्तों का भंडार।।
खुशहाली की धूम है, गोकुल में चहूं ओर।
मुरली की धुन पर नचे, वृंदावन का मोर।।
तीन लोक आधार तुम, तुमसे है उद्धार।
भक्तों के उर में बसे, सिर्फ तुम्हारा प्यार।।
यमुना तट पर रच रहे, मोहन रास अपार।
गोपीयंग संग राधा नचें, अलबेली सरकार।।
हर नारी बन द्रोपदी, करे करुण चित्कार।
आओ कृष्ण मुरारि अब, कर दो बेड़ा पार।।"
अम्बिका झा ✍️
Comments
Post a Comment