पापा के सपने
आपके जन्मदिन पर मेरी ओर से शब्दों का उपहार😊
पापा के सपने को पूरा करने में चली.....।
पापा का था शौक,
कविताएँ लिखना
थाम कलम हाथों में कविताएँ मैं लिखने लगी
पापा के सपने को पूरा करने मैं चली........।
मेरी कविताएँ पढ़ कर पापा आप खुश हो जाते,
जो मिलता कभी मुझे सम्मान फुले नहीं समाते
सोचते होंगे पापा आप आया कहाँ से मुझमें ये गुण
आखिर मुझमें है पापा आपका ही तो खून
आप हो मेरी प्रेरणा आपसे मैं सीखती रही
पापा के सपनों को पूरा करने मैं चली........।
जो कभी होती लेखनी में गलती वो आप सुधारते,
सकारात्मक सोच रखो अपनी हमेशा यही समझाते
पापा के हौंसलो से मैं उड़ान भरती रही
पापा के सपनों को पूरा करने मैं चली........।
मैं नहीं जानती पापा आपकी कलम क्यों रुक गई,
चमत्कार कहूँ या आशिर्वाद मेरी कलम क्यों चल पड़ी
अपने पापा का नाम रौशन करने मैं चली
पापा के सपनों को पूरा करने मैं चली........।
🙏ऋचा कर्ण🙏✍✍😊
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