"जियो नंद लाला"

                  
जियो नंद लाला, जियो नंद लाला,
मौरयाई पगड़ी, श्याम रंग वाला,
जियो नंद लाला.....

अष्टमी की रात आई, घटाएं घनघोर,
जन्में कृष्णा, रोवें जोर जोर,
जियो नंद लाला.....

खुल गये हैं ताले, देखो जेलों के,
चले वसुदेव लेके, गोकुल की ओर,
जियो नंद लाला.....

बारिश भी आई, पूरे जोरों से,
छाता तना देखो, शेष नागों का,
जियो नंद लाला.....

जमुना भी आई, दौड़ दौड़ के,
छूके चरण, हटी एकई ओर,
जियो नंद लाला.....

प्रभु के दर्शन, पाई जमुना ने, 
राह बनाई, छूकर के पाँव,
जियो नंद लाला.....

पहुँचे गोकुल, सो रहे लोग,
प्रभु को धर के, बिटिया पाई,
जियो नंद लाला.....

मथुरा आकर, बेड़ियां पड़ीं,
पट हो गये बंद, जागे द्वारपाल सब,
जियो नंद लाला.....

हो गयी खबर, कंस राजा को,
बिटिया को पटका, छिटक गयी दूर,
जियो नंद लाला.....

मैं तो आई हूँ, बिजली बन के,
आ गया अंत तेरा, गोकुल में,
जियो नंद लाला.....

नंद के घर आए, नंद लाला,
आया है अंत अब, अत्याचारी का,
जियो नंद लाला.....

जियो नंद लाला, जियो नंद लाला,
मौरयाई पगड़ी, श्याम रंग वाला,
जियो नंद लाला.....।

      भजन रचना-रजनी कटारे
           जबलपुर ( म.प्र.)

Comments

Popular posts from this blog

अग्निवीर बन बैठे अपने ही पथ के अंगारे

अग्निवीर

अग्निवीर ( सैनिक वही जो माने देश सर्वोपरि) भाग- ४