कान्हा आजा ----



महाप्रलय में मत्स्य रूप
मनु मानव नारी सतरूपा
सृष्टि का निर्माण ,कान्हा
आजा तुझको पुकारे संसार।।

मंदराचल धारण के कच्छप
सागर मंथन के  रत्न 
देवो तत्व के अमृत दानव
अहंकार का अभिशाप।। 

अविनि हरण का हिरण्याक्ष
अस्तित्व अविनि के बाराह
कान्हा आ जा तुझको पुकारे
संसार।।

पग तीन में लिया नाप ब्रह्मांड 
बलि गया पाताल दानव सत्ता का अंत कान्हा आ जा तुझको पुकारे संसार।।

श्री हरि नाम जगत उपकार
हरि नाम रटत बालक प्रह्लाद 
श्री हरि नरसिंह नाम कान्हा आ जा तुझको पुकारे संसार।।

अन्याय अत्याचार के पर्याय
शासक जन जन की त्राहि त्राहि
अन्याय अत्याचार का नाश
तुम परशुराम कान्हा आ जा
पुकारे संसार।।

मर्यादा की संस्कृति सांस्कार
अवध पूरी के राम कान्हा आ
आ जा पुकारे संसार।।

सुनी अँखियाँ यशुदा की थक
गई पंथ निहार कान्हा आ जा
पुकारे संसार।।



कोख की मर्यादा मान देवकी
बसुदेव तेरो नाम जपत संध्या
प्रभात कान्हा आ जा पुकारे
संसार।।

कारागार की दर दीवारें तेरे
दरस की राह निहारे कब आओगे
पालनहार कान्हा आ जा पुकारे 
संसार।।
नंदलाल मणी त्रिपाठी पीतांम्बर 
गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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