"तेरी राधा"
आई यमुना तट, राह तेरी टकत टुकुर टुकुर
वेश बदल घुमत रहो प्रेम गली टुकुर टुकुर
सब जानत हैं यह मनवा, फिर भी डोलत ठहर ठहर
सुध बुध खोई यह अंखियन , नीर बहाए ठहर ठहर
बंशी शोभित मुख पर तेरी , धुन बजत मधुर मधुर
मोर पंख में सदैव तत्पर, मयूर नृत्य थरकाय मधुर मधुर
श्याम रंग तेरा मन लुभावे मोरे सारी सारी
रंग प्रेम का चढ़ा रास रचांऊ सारी सारी
मैं चांद बनू तू बन जा तारा, मैं रहूं सिर्फ तेरी राधा
तू श्याम तो मैं काजल बनू, कृष्ण में बसी सिर्फ तेरी राधा।।
सुनीता ओझा
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