समुंदर में सूर्योदय



   चैन्नई के बीच पर थोड़ी खाली जगह पर मजदूरों की टोली परिवार सहित टिकी हुई थी। न जाने कितने साल बीत गये। किराये पर कमरा लेने की हैसियत न थी। और खाली जगह का कोई पूछने बाला न था। तो बस इसी जगह छोटे छोटे झोंपङ पट्टों में आशियाना बना रहते आये थे।

     सूरज को उगते देखना रईसों का शौक है। तभी तो इतनी दूर बस सूरज को उगते देखने आते। मशहूर तमिल अभिनेत्री संजना अभी तक एक फ्लैट में रहती आयी थी। पर समुद्र के किनारे एक बंगला बनाने की तमन्ना मन में घर कर रही थी। फिर एक दिन खाली जगह उसकी नजर में आयी। भिखमंगों का कब्जा था। पर इनकी जगह नहीं हो सकती। इनमें कहाॅ बूता कि जगह खरीद सकें। जगह का मालिक कहीं विदेश में रहता था। संपर्क करके जगह खरीद ली।

     एक दिन समुंदर से सूरज निकला। सैलानी प्राकृतिक सुंदरता को देख रहे थे। कुछ बुलडोजर झोंपङियों को साफ कर रहे थे। मजदूरों के परिवार अपने सामानों को बचा रहे थे। समुंदर से सूर्योदय के समय उन्हें अपना सूरज समुंदर में डूबता दिख रहा था।
दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'

Comments

Popular posts from this blog

अग्निवीर बन बैठे अपने ही पथ के अंगारे

अग्निवीर

अग्निवीर ( सैनिक वही जो माने देश सर्वोपरि) भाग- ४