" मोहन "

देखूं खुद को जब जब आइने में
" मोहन " तेरा ही अक्ष नजर आता है 
नाम लेती हूं किसी और का 
" मुख " से नाम तेरा ही निकल जाता हैं

.......@ नेहा धामा " विजेता " 
बागपत , उत्तर प्रदेश

Comments

Popular posts from this blog

अग्निवीर बन बैठे अपने ही पथ के अंगारे

अग्निवीर

अग्निवीर ( सैनिक वही जो माने देश सर्वोपरि) भाग- ४