अधूरे जज़्बात भाग :- १२

                


जिस प्रकार  सच सुनने के लिए  संयम और हिम्मत  की आवश्यकता होती है ठीक  उसी प्रकार  सच बोलने के लिए भी  संयम और हिम्मत की जरूरत पड़ती है । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि  हमारे जीवन में घटित  कुछ बातें ऐसी होती हैं  जब हम उन बातों को  दूसरों के सामने लाते हैं तो भूकंप  वाली परिस्थितियों का आना निश्चित हैं । ऐसे में सुनने वाला या  बताने वाला और कभी - कभी तों  दोनों को ही विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता हैं इसीलिए सच सुनना जितना कठिन  होता है , बोलना तों उससे  भी अधिक कठिन होता है । इन सारी बातों का भान अरण्या को‌ था लेकिन वह किसी को धोखा देना नहीं चाहती थी इसलिए उसने सच को उजागर करने का दृढनिश्चय कर लिया था और वह अभी भी इस पर अडिग थी । 

' हाय !  आई  एम  अरण्या ,  नाॅट शिविका ।'   अरण्या ने अपना दाहिना हाथ सुजाॅय की तरफ बढ़ाते हुए कहा । 

' आई  नो  वेरी  वेल दैट यूं आर अरण्या ।'   सुजाॅय ने मुस्कुरा  कर  अरण्या से हाथ मिलाते हुए कहा । 


' आप समझ क्यूं नहीं रहे जों मैं कहना चाहती हूॅं ।'    अरण्या ने हाथ छुड़ाते हुए कहा । 

' आप मुझे समझाएंगी तों मैं जरूर समझ जाऊंगा मिस अरण्या ।'  सुजाॅय ने कहा । 

' मैं आज जो कुछ भी आपसे कहने वाली हूॅं उसे ध्यान से सुनिए । मैं जानती हूॅं मेरी बातें सुनकर आपको हम दोनों पर गुस्सा आएगा । हों सकता है आज के बाद हम मिलें भी नहीं क्योंकि मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरा सच सुनने के बाद आप मुझसे मिलना तों दूर मेरा चेहरा भी नहीं देखना चाहेंगे लेकिन आज मैं आपको सच बताने से पीछे नहीं हटूंगी । यह कहते हुए अरण्या ने एक गहरी सांस ली और फिर से बोलना शुरू किया :- " यह सच है कि हमारी पहली डेट पर ना चाहते हुए भी मेरे मुंह से मेरा नाम निकल गया और अपने नाम की सच्चाई आपके सामने ना खुल जाएं इसलिए मैंने आपको बताया कि वैसे तो मेरा नाम शिविका है लेकिन मेरे घर का नाम अरण्या है । अरण्या और शिविका दो अलग-अलग नाम के साथ-साथ दो अलग-अलग शख्सियत भी है । अरण्या जहाॅं एक मामूली परिवार की लड़की हूॅं वही पर शिविका इस शहर के एक रईस खानदान की एकलौती संतान है । अरण्या जहाॅं अपनी और अपनी माॅं के भरण - पोषण करने के लिए इसी शहर के एक अस्पताल में नर्स की जाॅब करती हूॅं वही पर शिविका लाॅ स्टुडेंट होने के साथ-साथ काॅलेज के छात्र संघ की अध्यक्ष है । अरण्या और शिविका इन  दोनों में कुछ भी समानता नहीं है लेकिन इन सबके बावजूद अरण्या और शिविका बहुत अच्छी दोस्त हैं । 
मैं जानती हूॅं यहाॅं आज आपके सामने शिविका बैठी होनी चाहिए थी लेकिन उसकी जगह पर मैं हूॅं इसके पीछे भी वजह है जिसका जानना आपके लिए जरूरी है क्योंकि जब तक मैं इस वजह को आपके सामने उजागर नहीं करूंगी तब तक आपको मेरे यहाॅं होने का सच मालूम नहीं होगा ।'     अरण्या ने सुजाॅय की ऑंखो की तरफ देखते हुए कहा । 

' मैं पहली डेट से ही जानता था कि आप वह लड़की नहीं है जिससे मिलने मेरे डैडी ने मुझे यहाॅं पर भेजा था ।'   सुजाॅय ने कहा । 

' आपको मालूम था ?।'  अरण्या ने आश्चर्य भरी दृष्टि से सुजाॅय को देखते हुए कहा । 

' जी हाॅं ! मैं जानता था । याद है आपको , जब आप ऑटो से निकल ही रही थी कि आपके सामने ही एक बुजुर्ग को टक्कर मार दी गई । वह बुजुर्ग दर्द से कराह रहा था लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की । एक आप ही थी जिसने उस बुजुर्ग की कराह के पीछे उठने वाले दर्द को अपने दिल में महसूस किया। कहने के लिए उस बुजुर्ग के इर्द-गिर्द भीड़ इकट्ठी हो गई थी लेकिन कोई भी ऐसा नहीं था जो उसके पास जाकर उसकी तकलीफ़ को कम कर सकें । उस बुजुर्ग के लिए आप ही थी जो देवदूत की तरफ भीड़ को चीरते हुए आई और उसकी तकलीफ़ को कम करने के प्रयास में जुट गई । प्राथमिक जांच कर आप तब तक उस बुजुर्ग के साथ रही जब तक कि एम्बुलेंस नहीं आ गई । उस दिन आपने मेरी नज़र में इंसानियत की मिसाल कायम की । आपको देख कर मैं समझ गया था कि आप मेडिकल लाइन से जुड़ी हुई है तभी तो यह सेवा - भाव आपके भीतर मौजूद था । उस बुजुर्ग की मदद मैं भी करना चाहता था लेकिन कर नहीं पाया क्योंकि आपके जैसी सेवा - भाव  और मेडिकल लाइन की जानकारी मुझमें  जों नहीं थी ।' 
सुजाॅय ने मुस्कुरा कर कहा । 

' आप शिविका के बारे में जानते थे ।' अरण्या ने आश्चर्य से पूछा । 

' मेरे डैडी ने शिविका के बारे में बताया था कि वह लाॅ की स्टूडेंट है और उस दिन जब आपने अपने आप को शिविका बताया , मैं कुछ पल तक आश्चर्य में था लेकिन अगले ही पल मैं समझ चुका था कि आप लोग मेरे साथ मजाक कर रहे हों ।'     सुजाॅय ने हॅंसते हुए कहा । 

क्रमशः 


" गुॅंजन कमल " 💓💞💗

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