वफा
सागर में उतर कश्ती, सागर से क्यूँ डरे,
लक्ष्य को साध,सपने पूरे हो तो अच्छा है।
सवालों में लिपटा ज़माना हंसता ही रहा,
जवाब भी माकूल मिल जाए तो अच्छा है।
नवाजिश से मिले आप,शुक्रिया खुदा का,
पराजित हो जाएं ग़र इश्क में तो अच्छा है।
दिन ढ़ले कयामत की रात भी देखो आ गई,
ख्वाब नैनों में ही मचल कर रह जाएं तो अच्छा है।
आज फिर दिल को याद आए वफा बेहिसाब,
"झा"एक हर्फ हमने भी कहा होता तो अच्छा है।
आरती झा(स्वरचित व मौलिक)
दिल्ली
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