"" बेरोजगारी""--:


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सरकारी नौकरी लगने का 
अब इंतजार मत किजिए
ओवर एज हो जाएंगे अब कोई स्वरोजगार किजिए

कहीं मजहबी अत्याचार तो कहीं महंगाई की मार 
हाथों में डिग्री लिए देश का युवा खोज रहा है रोजगार

कभी एग्जाम कभी रिजल्ट 
कभी ज्वाइनिंग का इंतजार है
सिर्फ नौकरीयों में 
अब इसका परिहार किजिए 

मिनिमम इन्वेस्टमेंट में
मैक्सिमम इनकम की गारंटी है

छोरिये शर्म उठाइए ठेला
हर शाम का बाजार किजिए
बेरोजगारी का जो दाग लगा है आपकी दामन पर 

जो सब देते हैं ताना 
लानत है तुम्हारी जिंदगी पर
अब उठिए हर रोज ५००
रुपए से ज्यादा कमाकर
उसे बेदाग दार किजिए

जो चाकलेट न देने से 
कभी खफा हुईं थीं 
आपकी माशुका
महंगी गिफ्ट दिजिए और
अपने इश्क का इजहार किजिए

ये जान लीजिए कोई भी 
धंधा छोटा नहीं होता 
धंधा किजिए खुद को और सब को खुशहाल रखिए
सरकार भी कहती हैं
बेरोजगारी से अच्छा 
कोई रोजगार किजिए

स्वरचित कविता ✍️
सर्वाधिकार सुरक्षित
अफ्फान हाजिपुरी

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