कर्म और मुस्कान
श्री कृष्ण सिखाते हैं कर्म और मुस्कान।
जीवन है खोना और खोना भ्रम रहता है पाने का।।
कर्म हीन बनकर हम खोते अपना भाग्य।
कर्म वान बनकर हम पाते जीवन का सौभाग्य।।
अंधविश्वासों में पड़ कर बढ़ा रहे दुर्भाग्य।
श्रम से नाता तोड़कर हुए आलसी आज।।
बीमारियां कर रही हम पर देखो राज।।
मेहनत की कमाई अस्पताल में गंवाई।
दोष देते भाग्य को गलती है अपनी सपनों में खो कर राह छोड़े अपनी।।
योग प्राणायाम करते श्री कृष्ण सदा स्वस्थ रहते बांटते कर्म और मुस्कान।
बांसुरी बजाते जन मन हरसाते दुष्टों की दुष्टता क्षण में मिटाते।।
स्वरचित मौलिक प्रकाशित सर्वाधिकार सुरक्षित डॉ आशा श्रीवास्तव जबलपुर
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