हर अफसाने में

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कैसे नज़रअंदाज़ कर दू तुम्हे सनम
तुम बसते हो मेरे दिल के आईने में
दुनिया से जुदा ज़ब तन्हा होती हूँ
घिर जाती हूँ मैं तेरे यादो के आशियाने में

जानती हूँ जान से भी ज्यादा चाहते हो मुझे
देखा करते हो छुप छुप कर आँखे मिलाते नहीं सामने
दुनियाँ से जुदा हर एक अदा है तुम्हारी
यूँ बेपनाह प्यार तेरा जताना मुझ से

कहते नहीं जो बात लबों से कभी
हम सोचते है एक बार देखे तुमसे इजहार करके
शायद तुम भी कर लो एकरार प्यार की
चुरा लो मुझे भी तूम किसी बहाने से

क्या तुम्हे भाता है मुझे इस तरह तड़पना
या कोई डर है तुम्हे इस ज़माने की रुसवाई से
कभी तो कहाँ करो क्या है राज़ तेरे यूँ दूर रहने की
क्या मिल जाता है सुकून तुम्हे मेरे दिल जलाने में

जी लोगे तुम शायद गैरों के साथ ज़िन्दगी
पर मैं मिट ना जाऊं कही तुमसे दिल लगाने में
शायद मिट जाऊ मैं तेरे ख्यालो से कभी
पर लिखें जाओगे तुम नैना के हर अफसाने में
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नैना....✍️✍️

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