साकार कर ले मुझे

बाजुओं में गिरफ्तार कर ले मुझे,
पास आकर जरा प्यार करले मुझे।
तुझसे है जिंदगी,तू मेरी बंदगी,
प्रियतम साकार कर ले मुझे।।

जिंदगी में हमेशा भटकती रही,
पर तेरी भांति कोई भी मिल ना सका।
मन में अरमान जागे, अनेकों मगर,
प्रीत का पुष्प कोई भी खिल ना सका।।
पर तू मेरा हुआ, अब सबेरा हुआ,
अब तो जीवन का आधार कर ले मुझे।

मैं भटकती रही, पर अचानक सही,
तुझसे टकरा गई, और मन मिल गये।
मन की मुस्कान में, तू बसा ध्यान में, 
जैसे गुलशन के सारे सुमन खिल गये।।
अब यही आस है, बढ़ रही प्यास है,
अपनी बांहो का तू हार करले मुझे।


मन के मंदिर में तुझको बसाया है अब,
तेरे इस रूप की मैं बनी साधिका।
ना तो मीरा हूँ मैं, रुक्मणी भी नहीं, 
सत्यभामा नही, ना हूँ मैं राधिका।।
पर तेरी प्रीत हूँ, मैं प्रणय गीत हूँ,
अब तो श्वेता सी स्वीकार करले मुझे।


श्वेता कर्ण

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