मुखौटे वाला दानव

गांव में मेला लगा था, जलेबियां,चाट पकौड़े,झूले,खिलौने सभी के स्टॉल लगे थे।
गांव के लोग बड़ी तादाद में मेला देखने जा रहे थे।
रामू भी मां से जिद करने लगा , कि उसे भी मेला देखना है।
विधवा मां किसी तरह मेहनत मजदूरी कर घर चलाती थी।मेले में जाने के बाद मुंह बांध कर तो कोई लौटेगा नहीं,इसीलिए रोजाना टालती रहती।

आखिर अब मेले का एक दिन बाद खत्म होने वाला था।उस दिन रामू अड़ गया कि मां मुझे कुछ पैसे दो ,मुझे मेला जाना ही है।
आखिर मां को उसकी जिद के आगे झुकना पड़ा।
उसने कुछ पैसे चावल के मर्तबान में छुपा रखे थे,उठा कर दे दिए।
रामू बहुत खुश था, उसने पहले खिलौने देखे ,जो बड़े महंगे थे,उसका मन ललचा रहा था,लेकिन उसने मन को मनाया और झूला झूलने गया।झूला झूल कर वह उतरा ही था,तो सामने एक मुखौटे वाला ,ढेर सारी मुखौटे लगा सबको बुला रहा था।
हंसने वाला,जोकर वाला,भूतिया,डरावना मुखौटा ले लो।
महंगा नही ,बस 10रूपये दे जाओ,और अपना मनपसंद मुखौटा ले जाओ।
रामू  झट से मुखौटे वाले के पास पहुंच गया,वह देखने में बहुत भयानक था।
उसने मधुर स्वर में कहा ,कौन सा मास्क लोगे,बच्चे।
रामू ने  एक डरावना मास्क पसंद किया।

मास्क लेकर वह बहुत खुश था। शाम ढल रही थी वह जल्दी जल्दी घर लौटने लगा।

रास्ते में  उसने सोचा क्यों न ,अभी मुखौटा  लगा लूं।घर पहुंच कर मां को डराऊंगा।
मुखौटे को लगाते उसमें अजीब परिवर्तन होने लगा।

घर पहुंच कर वह सीधे कमरे में जाने लगा।मां  ने पुकारा आजा खाना खा ले। तेरा मुखौटा तो बड़ा डरावना है रामू।

मुझे  खाने में बकरा चाहिए_रामू ने कहा।

मां चौंक गई ,एक डरावनी आवाज ,ये तो रामू नही है।
मां ने डांटा _अपने घर में तो कभी मटन ,चिकन  नहीं बनता।तेरे पिता के गुजर जाने के बाद दो जून की रोटी ही बड़ी मुश्किल से मिलती है।
फिर से वही डरावनी आवाज _मुझे खून चाहिए।

और वो बाहर निकल गया। अज्जू भाई के घर पर दो बकरियां बंधी थी।रामू ने  उसके घर पहुंच कर बाहर बंधी बकरियों को खोल लिया।
बकरियों के मिमियाने की आवाज सुन ,अज्जू घर से बाहर आया।उसने रामू को डांटा,रामू मुड़ा ,और उसने अज्जू की ओर ,देखा तेरी इतनी हिम्मत कि तू मुझे रोके।और उसने उसे उठाकर दूर फेंक दिया।

वह बकरियों को लेकर झाड़ियों की तरफ गया।थोड़ी देर में वह झाड़ियों से निकला ,उसके मुंह में खून लगा था।अज्जू डर गया।
इधर रामू की मां अनुभवी थी,उसे लग गया था,रामू पर कोई मुखौटे वाले शैतान का  साया है।
वह रामू के घर से निकलते ,गांव में रहने वाले तांत्रिक के पास पहुंची।
तांत्रिक ने बताया ,रामू पर खून पीने वाले शैतान का साया है,जब तक हम उस मुखौटे को उसके चेहरे से निकलवा नही लेंगे,तब तक वह शैतान रामू पर हावी रहेगा।

चलो मैं चलता हूं,तांत्रिक , इतना कह रामू की मां के  साथ उसके घर पहुंचा।
अभी तक रामू लौटा नहीं था,दोनो दरवाजे के ओट में छुप गए।

जैसे ही रामू घर पहुंचा ।तांत्रिक ने  रामू के ऊपर भभूत   फेंका,और रामू की मां ने तुरंत रामू के चेहरे से मुखौटा उतार दिया।

मुखौटा उतरते  ही रामू एकदम होशोहवास में आ गया।
उसने मां से पूछा क्या हुआ मां?
मां ने जवाब दिया _कुछ नही। कोई बुरा सपना था । 
तांत्रिक ने मुखौटा ले जाकर गड्ढा खोद कर गाड़ दिया,ताकि किसी के हाथ न लगे।

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