बनारस

मेरा है प्यारा, शहर ये बनारस।
है प्यारा, मेरा शहर ये बनारस।।
जहां बहती निर्मल गंगा वरूणा,
जहां है  दिलों में सबके करुणा --२
संस्कृति है बसी नस - नस।
मेरा है, प्यारा शहर ये बनारस।।


कण कण जहां शिव और शिवाला,
अन्नपूर्णा देती है सबको निवाला --२
घाटों के मिलते अनमोल दरस।
मेरा है, प्यारा शहर ये बनारस।।

ज्ञानपीठों की है जहां पे कतारें,
ज्ञानियों ने असंख्य पल हैं गुजारें --२
रहे लिखते मुंशी जी* बरसों बरस।
मेरा है, प्यारा शहर ये बनारस

सभ्यता है जिसकी सदा से पुरातन,
स्वयं में रहा फिर भी ये   नूतन --२
अधूरा है इसके बिना इतिहास
मेरा है, प्यारा शहर ये बनारस

है प्यारा, मेरा शहर ये बनारस
मेरा है, प्यारा शहर ये बनारस
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कीर्ति रश्मि नन्द 
 वाराणसी

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