गलत तो कहीं भी हो सकता है
"अरे हरिशा तुम तैयार नहीं हुई ?जल्दी करो तुम्हारे पापा तुम्हे जाते हुए छोड़ देंगे ,वरना मुझे जाना पड़ेगा " शिल्पा ने अपनी बेटी तनु से कहा ।
"मम्मी बस दो मिनट, आई आप भी ना हमेशा जल्दी में रहती हो पापा चले गए तो क्या हो गया मैं खुद चली जाऊंगी यहीं पास में तो है मेरा कॉलेज " तनु ने कहा और बालों को सही करने लगी ।
"नहीं बिल्कुल नहीं अकेली नहीं जाएगी तू ,जानती है ना _ _ _ _ _
"हां मां जानती हूं आज कल जमाना बहुत खराब है , अकेले लड़कियों का कहीं जाना सही नहीं है है ना मां " इससे पहले शिल्पा कुछ बोलती तनु बोल कर हस पड़ी ।
"हां यही अब जल्दी कर , शिल्पा ने कहा और खुद तनु के लिए चाय बनाने लगी ।
तनु चाय पीकर अपने पापा के साथ कॉलेज चली गई वहां उसे पता लगता है कि उसका उन्न बच्चो में नाम आया है जो हर साल कॉलेज की तरफ से दिल्ली यूनिवर्सिटी में अपने कैरियर को लेकर विचार विमर्श करने वहां के प्रोफेसरों को मिलने जाते है
तनु
अपना नाम उस सूची में देख कर खुश हुई और उसने घर आते ही सबसे पहले अपने पापा को इस के बारे में बताया ।
",क्या कह रही है तू होश में तो है ने पूरे दो दिन तू दिल्ली जाएगी वो भी भी बिना हमारे नहीं मैं नहीं जाने दूंगी तुझे और आप भी क्या इसकी हर बात मान लेते है कल को अगर इसके साथ भी ग़लत हो गया तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारी बेटीयां घर में ही अच्छी लगती है , समझ गए आप दोनों कहीं नहीं जाएगी तनु इसके आगे मुझे किसी की कोई बात नही सुननी और आप भी मुझ से कोई इसके बारे में बात नहीं करोगे ",शिल्पा ने कहा ।
"पर शिल्पा सभी के साथ एक ही चीज हो ऐसा जरूरी तो नहीं है ना,और अगर वो जाएगी नहीं तो पता कैसे लगेगा उसे कि उसके लिए क्या सही है क्या नहीं ",तनु के पापा ने कहा ।
" नहीं मतलब नहीं आप मानते क्यूं नहीं है मेरी बात ",पर मां ,तुझे कह दिया ना तनु बस अब कुछ नहीं
",शिल्पा ने कहा ।
" ठीक है मां तो फिर उन सबसे भी उन लड़कीयों को बचा लो जो घर में ही उनकी इज्जत लुटते है और लड़कीयों की कोई नहीं सुनता मां क्या ग़लत करने वाले बाहर ही है घर पर नहीं आप रोज अखबार देखती है उन में ना जाने कितनी खबरे आती है जैसे "दूर के रिश्तेदार ने किया नाबालिग लड़की से रेप , सगे मामा के बेटे ने अपनी ही बुआ ही सात साल की बेटी का किया बलात्कार ,तो क्या ये लड़कियां बाहर घूमती थी ,ये तो घर पर ही थी ना मां तो इनके साथ क्यों गलत होता है ये तो अपने घर वालो के साथ ही थी ना तो क्यों नहीं कोई बचा पाया इन्हे बताइए ना मां अगर लड़कियां आज बाहर महफूज़ नहीं है तो कहीं ना कहीं दरिंदे घर पर भी है मां उन्हें तो कोई कुछ नहीं कहता तब क्यों लड़कियों को चुप करवा दिया जाता है बोलिए ना मां उनकी क्या गलती थी वो तो कहीं बाहर नहीं गई ना फिर घर पर भी वो सुरक्षित नहीं है ये सिर्फ सोच बना रखी है हमने की बाहर ही गलत होता है और अगर गलत होने से रोकना है ना मां तो अपनी बेटियों को इस काबिल बनाओ कि वो इन परिस्थितियों का सामना हिम्मत से कर सके ना की उन्हें ही घर पर रोका जाए क्यूंकि गलत तो कहीं भी हो सकता है मां ", तनु ने कहा और जाने लगी ।
"रुको बेटा तुम्हे जाना है ना तो पैकिंग नहीं करोगी ,शिल्पा ने जाती हुईं तनु से कहा क्यूंकि उसे अब अपनी गलती का अहसास हो चुका था ।
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