मै तन्हा यहाँ हूँ



वो रह रह कर मेरा दिल चुरा रहे हैं 
मै तन्हा यहाँ हूँ और वो मुस्कुरा रहे हैं

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सब कुछ ले गए वो अब बाकी कहाँ है 
मयखाने को छोड़कर अब साकी कहाँ है 
जो कहना था उनको मुझसे अब वो घबरा रहे हैं 
मै तन्हा यहाँ हूँ और वो मुस्कुरा रहे हैं 

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वो गुजरा हुआ फ़साना अब याद आ रहा है 
वो प्रेम का तराना अब याद आ रहा है 
अब पास आने पर वो क्यूँ कतरा रहे हैं 
मै तन्हा यहाँ हूँ और वो मुस्कुरा रहे हैं 

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चलो छोड़ दो अब वो रंजोगम की बातें 
अब कैसे कटेगा दिन अब कैसे कटेंगी रातें 
अब क्यूँ वो रह रहकर इतना याद आ रहे हैं 
मै तन्हा यहाँ हूँ और वो मुस्कुरा रहे हैं 

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अब "लखनवी" अपने मन की कुछ न कहेगा 
पहले भी चुप था वो अब भी चुप रहेगा  
अब खामोश है ये आलम बस चलते जा रहे हैं 
मै तन्हा यहाँ हूँ और वो मुस्कुरा रहे हैं

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आपका मुकेश लखनवी

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