किरदार नारी के


मैं नारी गीली मिट्टी सी,
तुम बन जाओ कुम्हार
जिस रूप में ढालोगे मुझको दिल ,
से निभाऊंगी वो किरदार........।

जो रूप दोगे राधा का प्रीत की रीत निभाऊंगी,
आधा होके भी पूरा होता,प्रेम तुम्हें दिखलाऊँगी
मैं हर किरदार निभाऊंगी...............।

जो रूप दोगे सीता का धर्म कर्म सिखलाउंगी,
अग्नि परीक्षा दे के धरती में समा जाऊँगी
मैं हर किरदार निभाऊंगी..........।

जो रूप दोगे रानी का रणनीति भी दिखाउंगी,
ममता को आँचल में बाँध युद्ध करके दिखाउंगी
मैं हर किरदार निभाऊंगी..........।

जो रूप दोगे क्षत्राणी का राजनीति भी सिखाऊंगी,
शत्रु जो डाले बुरी नज़र  जौहर भी करके दिखाउंगी
मैं हर किरदार निभाऊंगी...........।
                                 ऋचा कर्ण✍✍
                          

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