उपन्यास सपने : एक परिचय



सपने निद्रा के आगोश में देखे जाने बाले दृश्य ही नहीं होते हैं। अक्सर सपने व्यक्ति के मन में दबी इच्छाओं का प्रतीक होते हैं। व्यक्ति के मन में छिपे प्रेम, ईर्ष्या, निश्चय और उसके संस्कारों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

खुद के लिये तो सभी सपने देखते हैं। पर कुछ के सपने खुद की ही इच्छाओं से आगे बढकर दूसरों की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। उससे भी बढकर कई बार सपने विश्व कल्याण की राह बनते हैं।

उपन्यास 'सपने' चाहत को अपना जीवन बनाने के सपने से शुरू होकर, फिर त्याग की कहानी बनता हुआ, फिर किसी अन्य के सपनों को अपना सपना बनाने की कहानी है जिसका समापन मानवता को ही विश्व धर्म बनाने के बड़े सपने के साथ होता है।

वर्ष 2021 के जुलाई महीने के आरंभ के साथ ही यह उपन्यास रश्मिरथी मंच का हिस्सा बनने जा रहा है। भविष्य में यह उपन्यास पुस्तक के रूप में भी प्रकाशित कराने की योजना है। तब तक यह उपन्यास इस प्रतिष्ठित साहित्यिक मंच का हिस्सा रहेगा।
दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'

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