नन्ही-सी परी मिल गई ....

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सूखी पत्तियों को ओस की नमी मिल गई ,शाख को लगा जिंदगी मिल गई .......

वर्षों से गुम थी हंसी मेरी जाने कहां , मासूम होठों पर वह हंसी मिल गई ........

सब मेरी परछाई कहते हैं उसे , उसके बचपन में बचपन की खुशी मिल गई ........

मां की जिन बातों से कभी चिढ़ती थी मैं , आज मुझ में वह सारी कमी मिल गई ......

अप्सरा सी लगती है बिटिया मेरी , ममता को मेरी नन्ही-सी परी मिल गई .......

......✍️ पिंकी मिश्रा

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