"इंसानियत का पाठ"


"इंसान हैं इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं।
धोखाधड़ी, और चापलूसी करते जा रहे।
गैरों को सीख की गठरिया भरते जा रहे।।
बस झूठ के सहारे ,क़दम आगे बढ़ाते हैं।
इंसान हैं, इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं।।

कहते हैं हिन्दू मुस्लिम, और सिख  ईसाई,
सब एक हैं, सब नेक हैं, आपस में हैं भाई।
और मजहबों को लेकर आपस में लड़ाते हैं।
इंसान हैं, इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं।।

कहते कुरान ,बाईवल, गुरुग्रंथ या गीता।
इनको पढ़ो इन्हौने है संसार को जीता।।
और सीख इनकी अपने न ध्यान में लाते हैं।
इंसान हैं, इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं।।

दीन दुखियों की सेवा अब लूट बनी है।
धनिकों को गरीब लूटने की छूट बनी है।।
धनवान गरीबों को अब लूटके खाते हैं।
इंसान हैं, इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं।।

नफ़रत,भरी फिजाओं में प्यार कहां है।
इंसानियत का आज तलवगार कहां है।।
बेईमान आजकल नया इतिहास रचाते हैं।
इंसान हैं, इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं।।

एक दूसरे से चल रहे हैं, आज सब पहले।
हर ओर यहाँ चल रहे हैं, नहले पे दहले।।
नफरत का कदम प्यार की बातों से बढ़ाते हैं।
इंसान हैं, इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं।।

हैवानियत के दौर में इंसाफ कहां है।
मत पूछिए कि पापियों का पाप कहां है।।
मिलते ही मौका कलियों को लूटने जाते हैं।
इंसान हैं, इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं।।

ये वक़्त कह रहा है, करो आज सद्कर्म।
इंसानियत है आज का सबसे बड़ा धरम।।
वसुधा बचाने आओ संकल्प उठाते हैं ।
इंसान हैं इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं।।"
                        
                               अम्बिका झा ✍️

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