"मां के बिना मायका"


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मां तुम्हारा घर अब बङा सूना लगता है।
सब चीज पराई लगती है;
तेरे भजन और गीतों के बोल  सुनाई नहीं  देती है !!
मेरे मन के कोने सा तेरे घर में भी सन्नाटा दिखता है~
वैसे तो सब चीज  करीने से रखी होती है;
बस तेरी बेफिक्री नहीं दिखती है!!
मेरे आने की खबर से,
तेरी आंखें  जो चमक उठती थीं;
उन आंखों की चमक नहीं दिखती है!!
मुझसे मिलने की  तेरी ललक नहीं दिखती है।
वैसे तो कोई कमी नहीं;
पर! फिर कब आऊंगी?
ये मिलने की तङप नहीं दिखती है!!
मेरे मन के कोने सा तेरे घर में भी सन्नाटा दिखता है।
मां तेरे बिना तेरा घर मेरा मायका नहीं लगता है▪︎▪︎

                                        

 ‍✍ डॉ पल्लवी कुमारी "पाम"

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