डाक्टर मसीहा


*********
समर इमरजेंसी है , बहुत ही गंभीर हालत है जल्दी निकलो, डाक्टर रजनी की घबराई हुई आवाज सुन डाक्टर समर ने धीरज बंधाया, घबराओ मत मै पहुँच रहा हूँ, 
एक नजर माँ पर डाली, वो चैन से सो रही थी,! माँ की तबियत अचानक ज्यादा खराब हो गयी, समर की तो जैसे जान निकल गयी थी, दीदी को फोन लगाया था, जीजा जी बोले, साले साहब आप डाक्टर है आप डर रहे है, जीजा जी, डाक्टर हूँ, भगवान नही, माँ को कुछ हो गया तो, मेरा क्या होगा, माँ के सिवा मेरा है कौन, आवाज भर्रा गयी थी! समर की,,,, 
कल आता हूँ अलका को लेकर, आप खुद को सम्भालिए, और धैर्य रखिये सब ठीक होगा! 
समर ने घडी पर नजर डाली,  गेट पर वेल बजी, दीदी होगी, वो गेट की ओर लपका, दीदी, अकेली थी! 
उसने दीदी को गले लगा लिया, थैक्स दी, उसकी आँखे भर आयी, माँ अब कैसी है, अलका दी ने पूछा, आप आ गयी हो अब सब ठीक हो जायेगा, 
साॅरी दी इमरजेंसी है रजनी का फोन आया था वो बहुत घबराई हुई थी! 
आप सब सम्भाल लेना, मै आकर बात करता हूँ, बोलते हुए समर बाहर निकल गया,! 
अलका माँ की ओर बढ गयी,! 
डाक्टर समर इमरजेंसी रूम की ओर बढ गया, समर सर जल्दी चलिये, डाक्टर रजनी अभी भी हडबडाई हुई थी! 
आप सारी जानकारी दिजिए, आप खुद देखिए अंदर पहुँचते ही डाक्टर रजनी बोली, सामने वेड पर समीक्षा रजनी की बेटी लहुलुहान स्थित मे थी! 
समीक्षा बेटा,क्या हुआ इसे, एक्सीडेंट, 
रजनी ने लम्बी सांस ली, इसे बचाने के लिए मुझसे जितना हो सका किया मैनें, मै अकेली हो गयी थी, उस समय, मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,! 
इसलिए आपको फोन किया, खून बहुत बह गया, पता नही अब इसे बचा पाऊंगी या नही, डाक्टर रजनी घुटनो के बल बैठ गयी! 
समर ने चेकअप किया, कुछ नही हुआ है ग्रेट माँ, वो ठीक है! सारी रिपोर्ट देखते हुए समर बोला, इत्तेफाक से समीक्षा और मेरा ब्लड गुरूप एक है, 
कुछ घंटो मे समीक्षा को होश आ चुका था! उसने हौले से आंखे खोली, ममा, 
सामने समर रजनी को देख, हल्की सी मुस्कान बिखर गयी बच्ची के चेहरे पर, 
अब सब ठीक था! 
रजनी तुमने कुछ खाया, रजनी ने न मे गर्दन हिलायी, और आपने, नही समर बोला, चलो कुछ खा लेते हैं, 
अच्छा रजनी हम डाक्टर को लोग मसीहा बना देते हैं, पर हम भी तो इंसान ही है कठपुतली, हम भी तो अपनी फैमिली के लिए कितना डर जाते हैं, हूँ, रजनी ने बस इतना बोला "क्या सोच रही हो,,,,समर बोला कल से आज के बीच का फासला" मत सोचो, हम डाक्टर है, समर हसकर बोला ""

श्रीमती रीमा महेंद्र ठाकुर लेखिका रानापुर झाबुआ मध्यप्रदेश भारत

Comments

Popular posts from this blog

अग्निवीर बन बैठे अपने ही पथ के अंगारे

अग्निवीर

अग्निवीर ( सैनिक वही जो माने देश सर्वोपरि) भाग- ४